शिक्षा और सच्ची भक्ति की शक्ति ने एक जूते बनाने बाले ग़रीब दलित को भी बना दिया संत शिरोमणि -वरिष्ठ समाजसेवी रघुनाथ सिंह
आगरा(राष्ट्र की परम्परा)
संत परम्परा के महान योगी संत शिरोमणि, दर्शनशास्त्री एवं महान समाज सुधारक गुरु रविदासजी महाराज की 647वां जन्मोत्सव पर्व हर साल माघ पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। साल 2024 में 24 फरवरी को मनाई जाएगी। उन्होंने सभी मनुष्यों की समानता और भगवान के प्रति भक्ति का संदेश दिया। उनकी रचनाओं में भक्ति, प्रेम, नैतिकता और सामाजिक न्याय जैसे विषयों का समावेश मिलता है।
राष्ट्र संत रविदास की जयंती पावन अवसर पर वरिष्ठ समाजसेवी एवं राष्ट्रवादी सामाजिक चिंतक रघुनाथ सिंह ने उन्हें नमन करते हुए कहा कि भारत में कई संतों ने आमजनमानस को आपसी प्रेम, सौहार्द,आपस में एकता और भक्ति सिखाई। इन्हीं में एक थे संत परम्परा के महान योगी संत शिरोमणि, दर्शनशास्त्री, भक्ति प्रेरक गुरु, महान कवि, भक्ति आंदोलन के गुरु एवं महान आध्यात्मिक समाज सुधारक गुरु रविदासजी, जिनका भक्ति आंदोलन और समाज सुधार में विशेष योगदान रहा। संत शिरोमणि गुरु रविदासजी जैसे महान संत सदियों में कभी कभार ही इस धरती पर आते हैं। गुरूजी ने अपना पूरा जीवन समाज के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था। ऐसे महान संत जन्म जन्मानंतर मिलना बहुत मुश्किल हैं। हमें इंसानियत और एकता का पाठ पढ़ाते हुए देश के लोगों को नेकी के प्रति जगाते हुए संत शिरोमणि गुरु रविदासजी ने अपना पूरा जीवन समाज के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था। सदियों – सदियों तक संत शिरोमणि गुरु रविदासजी को उनके सिद्धांतों के लिए याद किया जायेगा। ऐसे महान संत शिरोमणि गुरु रविदासजी के चरणों में मेरा कोटि – कोटि नमन हैं। गुरूजी 15वीं सदी के महान समाज सुधारक, दार्शनिक, कवि और भगवान राम और कृष्ण के अनुयायी थे। उन्होंने दुनिया को भेदभाव से ऊपर उठकर समाज कल्याण और एकता की सीख दी। अगर मैं महान योगी संत शिरोमणि रविदास जी महाराज के बारे में कहूँ तो संत शिरोमणि गुरु रविदासजी उन महान महापुरुषों में से एक थे जिन्होंने समाज में धार्मिक और सामाजिक बुराइयों का खात्मा किया था। उन्होंने अपने गीतों और दोहों की गुंज पूरे देश फैलाई थीं, जिससे आम जनता को सही रास्ता और मार्गदर्शन मिला। जो आज भी जनता द्वारा उनके गीतों को गाया जाता है। रविदास जी ने जनता को जाति या धर्म को लेकर भेदभाव न करने की सीखा दी है। उनके समय कुछ लोगों जाति और धर्म के नाम पर भयंकर भेदभाव करते थे लेकिन रविदास जी ने इसका डटकर सामना किया, लोगों को इसके बारे में समझाया और राष्ट्रहित में इसे खत्म करने के प्रयास किए। उन्होंने यह संदेश दिया की जाति, धर्म हमारे कार्यों की रूपरेखा है जो जन्म के बाद हमारे कर्मों पर आधारित होती हैं। ईश्वर हमारे धर्म को नहीं मानता बल्कि हमारे कर्मों को देखता है। इसीलिए गुरूजी का वह संघर्ष बहुत ही अनमोल है। समाज, देश और दुनियां को अपने ओजशश्वी ज्ञान से नेकी की दिशा दर्शन देने वाले गुरूजी ने समाज के लिए उल्लेखित कार्य किये हैं, संत शिरोमणि गुरु रविदासजी का समाज को दिया योगदान भुलाया नहीं जा सकता। उनकी सच्ची भक्ति और शिक्षा की शक्ति ने एक जूते बनाने बाले ग़रीब दलित को भी राष्ट्र संत बना दिया।
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