July 5, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

दरस को तरस रहे नैना

दरस को तरस रहे नैना,
प्रभु आकर दर्शन दो ना,
दरस को तरस…
प्रभु आकर दर्शन दो ना ।

राह निहारें नित नित अँखियाँ,
प्रभु दरबार पधारो ना,
दरस को तरस….
प्रभु आकर दर्शन दो ना।

दूर करो तन मन की कलुष सब,
प्रेम सुधा बरसाओ ना,
दरस को तरस रहे नैना,
प्रभु आकर दर्शन दो ना।

यह दुख दारुण हरण करो प्रभु,
आकरके ख़ुशियाँ दो ना,
दरस को तरस…
प्रभु आकर दर्शन दो ना ।

करूँ मैं विनती और आरती प्रभु की
आदित्य कृपा बरसा दो ना,
दरस को तरस रहे नैना,
प्रभु आकर दर्शन दो ना।

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ