Thursday, November 13, 2025
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नागरी प्रचारिणी सभा में शब्दों की साधना से गूंजा

भावों से सराबोर कवि गोष्ठी: देवरिया में गूंजे ओज, प्रेम और जीवन के स्वर

नागरी प्रचारिणी सभा देवरिया की द्वितीय रविवारीय कवि गोष्ठी में कवियों ने बांधा समां

देवरिया (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। साहित्य की पवित्र धरती देवरिया एक बार फिर कविताओं की अमृतधारा से सराबोर हो गई। नागरी प्रचारिणी सभा देवरिया की द्वितीय रविवारीय कवि गोष्ठी रविवार को उत्साहपूर्वक संपन्न हुई, जिसकी अध्यक्षता प्रख्यात गीतकार इन्द्र कुमार दीक्षित ने की। गोष्ठी की शुरुआत कवयित्री पार्वती देवी गौरा की वाणी वंदना से हुई, जिसने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक भावों से भर दिया।

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कार्यक्रम में कवि गोपाल जी त्रिपाठी ने “सपने सजाने की चाहत लिए मैं सपने बोता रहा हूं” के माध्यम से आशा और संघर्ष की ज्योति प्रज्वलित की। वहीं योगेन्द्र पाण्डेय की प्रेरक कविता “तुम जागो और आंखें खोलो, तुम्हारे जागने से ही आएगा नया सबेरा” ने श्रोताओं में नई ऊर्जा भर दी।

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विकास तिवारी विक्की ने “महंगाई पर तंज” कसते हुए सामाजिक यथार्थ को उजागर किया, जबकि कीर्ति त्रिपाठी ने अपनी रचना “मैं लिखती हूं निर्मल निर्झरणी बनकर” से लेखनी की शक्ति को नमन किया। पार्वती देवी गौरा ने “जिंदगी धीरे-धीरे चली जा रही है” से जीवन की क्षणभंगुरता को भावपूर्ण अंदाज में प्रस्तुत किया।

गीतकार सरोज कुमार पाण्डेय ने “अपने बचपन के दिन, नौजवानी के दिन” गीत से सबको अतीत की स्मृतियों में ले गए, और अध्यक्ष इन्द्र कुमार दीक्षित की ग़ज़ल “दास्ताने दिले दर्द सुनाए नहीं जाते…” ने सभागार में भावनाओं का सागर उमड़ा दिया।

संचालन कर रहे भोजपुरी रचनाकार सौदागर सिंह ने अपनी पंक्तियों “इक इंसान होकर जो सुधरे नहीं, तो आदमी के तन पाने से क्या फायदा” से मानवता का संदेश दिया।

गोष्ठी में क्षमा श्रीवास्तव, शिखा गौड़, राधा मोहन सिंह, नित्यानंद आनंद, सीमा नयन, फिगार देवरियावी समेत अनेक कवियों ने अपनी-अपनी रचनाओं से समां बांधा।
कार्यक्रम में जितेन्द्र प्रसाद तिवारी, अधिवक्ता बृजेश पाण्डेय, रवीन्द्र नाथ तिवारी, प्रबंधक बृजेश पाण्डेय, विनोद अग्रवाल, प्रीति पाण्डेय सहित अनेक साहित्यप्रेमी मौजूद रहे।

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