
आँखों में पानी भरे जनता भूखी आज,
सूखी है धरती, कहीं वर्षा लाई बाढ़,
कोई चारा चर रहा बेंच रहा कोई खेत,
डाकू घूमे हर शहर धर नेता का बेश।
इंटरनेट भी कर रहा है छुपकर वार,
जनता आँसू पी रही महँगाई की मार,
रोटी कपड़ा मकान में उलझा संसार,
काम धाम है नहीं हो गए बेरोज़गार।
घोर निराशा छाई है फैला अंधकार,
गुंडे माफिया बढ़ रहे होता है सत्कार,
ज्ञानी बनकर घूमते करते धोखा लूट,
बाहुबली व बड़ों का रिश्ता बना अटूट।
दुष्टों के संग मेल है दुर्जन संग निवास,
इच्छाधारी नाग वे मणी है उनके पास,
मन काला तन श्वेत, भाषण लच्छेदार,
ऊपर से दिखते भले करते अत्याचार।
वाणी में संयम नहीं, निरंकुश बर्ताव,
तन मन में है भरा अहंकार का भाव,
करे दलाली आज, हो कल मालामाल,
हिंसा अपराध का फैल रहा है जाल।
प्रजातंत्र के नाम पर कागा मारें चोंच,
राजनीति के खेल हैं ना है अच्छी सोंच,
आदित्य वोट बिकता है पैसे के मोल,
प्राणों का ना मोल है दौलत अनमोल।
कर्नल आदि शंकर मिश्र, आदित्य
लखनऊ
More Stories
राष्ट्रीय राजमार्ग पर भीषण सड़क हादसा: डंपर से टकराई आल्टो कार, पांच की मौत
गुलशन यादव हत्याकांड: दो और इनामी आरोपी गिरफ्तार, हत्या में प्रयुक्त चाकू व बाइक बरामद
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत हो रहे सड़क निर्माण में कमियां, अधिशासी अभियंता ने किया निरीक्षण