नवरात्रि का पहला दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री को समर्पित होता है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। सती के पुनर्जन्म के रूप में जन्म लेने वाली यह देवी भक्तों को स्थिरता, शांति और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती हैं।
पूजन विधि
1. प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।घर के पूजा स्थल को साफ करके चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और उस पर शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
2. कलश स्थापना करें। ताम्बे या मिट्टी के कलश में जल, सुपारी, अक्षत, सिक्का, पंचरत्न डालकर आम्रपल्लव से ढकें। कलश के ऊपर नारियल रखकर लाल वस्त्र में लपेटें। यह कलश सभी देवी-देवताओं का प्रतीक माना जाता है।
3. आवाहन एवं संकल्प। हाथ में अक्षत और जल लेकर संकल्प करें कि नौ दिनों तक मां दुर्गा की विधिवत पूजा करेंगे।
4. पुष्प, अक्षत, दीप और धूप से आराधना करें। मां शैलपुत्री को गंध, पुष्प, चंदन, अक्षत, कुमकुम, वस्त्र, फल और नैवेद्य अर्पित करें।
5. मां का प्रिय भोग। मां शैलपुत्री को शुद्ध घी और सफेद रंग के पुष्प विशेष प्रिय हैं। पहले दिन घी का दीपक जलाना उत्तम माना जाता है।
मंत्र और स्तुति
बीज मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥
शैलपुत्री देवी का ध्यान मंत्र:
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
प्रणाम मंत्र:
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणीम्। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्॥
अर्घ्य मंत्र:
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।
इन मंत्रों के साथ श्रद्धापूर्वक देवी का आवाहन, पूजन और स्तुति करने से मां शैलपुत्री प्रसन्न होती हैं।
मां शैलपुत्री की कृपा के लाभ
मां शैलपुत्री साधक के भीतर धैर्य, संयम और स्थिरता का संचार करती हैं।
इनके पूजन से मन और आत्मा में पवित्रता आती है और साधक आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर होता है।
ग्रहदोष, विशेषकर चंद्रमा से जुड़ी बाधाएँ दूर होती हैं।
परिवार में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।
विशेष बातें
पहले दिन की पूजा में शुद्ध घी का दीपक जलाने से शरीर रोगमुक्त रहता है।
भक्त को सफेद या पीले पुष्प चढ़ाने चाहिए।
दिनभर सात्विकता का पालन कर व्रत रखना श्रेष्ठ है।
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की आराधना से साधक का जीवन पवित्र और ऊर्जावान बनता है। विधिवत पूजन, मंत्रजप और भक्ति से देवी की कृपा प्राप्त होती है और भक्त जीवन में आने वाले हर संकट से सुरक्षित रहता है।
(प्रस्तुति पंडित सुधीर मिश्र द्वारा राष्ट्र की परम्परा के पाठकों के लिए)