July 7, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

श्रीराम चंद्र के रामेश्वर हो

हे शिवशंकर भोलेनाथ तुम
अजर अमर अविनाशी हो,
महाकाल उज्जैन विराजत,
बाबा विश्वनाथ काशी में हो।

हम भक्तों के संकटहर्ता हो,
तुम हम सबके मंगल कर्ता हो।
रचनाकार सारे जगत् के हो,
हे महादेव तुम प्रलयंकर्ता हो।

महामहेश्वर, तुम्हीं पिनाकी हो,
शिव शशिशेखर तुम ही हो।
वामदेव विरुपाक्ष तुम्हीं हो,
श्रीराम चन्द्र के रामेश्वर हो।

तुम शंभू हो, शिवा प्रिय हो,
तुम पार्वती नाथ कहाते हो,
कामदेव के शत्रु तुम्हीं हो,
तुम कामारि कहलाते हो।

तुम जगदीश्वर कृपानिधि हो,
तुम चन्द्रभाल, गंगाधर हो,
जटा जूट रखे, जटाधर हो,
तुम निराकार साकार भी हो।

हे त्रिपुरारी ! त्रिनेत्रधर हो,
तुम भवसागर पार कराते हो,
इस धरती का पाप मिटाते हो,
दयानिधि आकर उद्धार करो।

तुम ईश्वर हो, परमेश्वर हो,
तुम दीन दयाल दयानिधि हो,
हे कृपानिधि सबका संताप हरो।
आदित्य भवसागर से पार करो।

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ