बलिया (राष्ट्र की परम्परा)। करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए रखती हैं। यह व्रत प्रतिवर्ष कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। करवा चौथ व्रत में शाम के समय भगवान शिव माता पार्वती तथा गणेश भगवान की विधिवत पूजा की जाती है। करवा चौथ का व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति की सलामती के लिए रखती हैं। रात को चंद्र दर्शन के उपरान्त अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को सच्चे मन से विधिवत पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। करवा चौथ व्रत की शुरुआत सरगी से होती है। दिन भर निर्जल व्रत किया जाता है। महिलाएं सोलह श्रृंगार करके पूजा करती हैं इस दिन प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत होकर मन में व्रत का संकल्प कर लेना चाहिए। सरगी सूर्योदय से पहले करना चाहिए। वही सास द्वारा बहु को सरगी देने की परंपरा है।इसके बाद सारा दिन अन्न जल नहीं ग्रहण करना चाहिए शाम को सोलह श्रृंगार करके पूजा की जाती है।चंद्रमा का दर्शन के बाद आरती करते हैं। प्रसाद सभी को वितरित करके बड़े बुजुर्गो का आशीर्वाद लेना चाहिए। करवाचौथ सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास महत्व रखता है।इस बार कार्तिक मास में करवा चौथ का व्रत २०अक्टूबर को मनाया जाएगा। करवा चौथ पर मुख्यतः भगवान गणेश माता गौरी और चंद्रमा की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं करवा माता से अपने पति और परिवार की सलामती की दुआ मांगती है। सीमा त्रिपाठी शिक्षिका
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