(दिलीप पाण्डेय की राष्ट्र की परम्परा के लिए प्रस्तुति )
कहानी – “खाली गमले का रहस्य”
एक विद्यालय में प्रधानाचार्य ने बच्चों की परीक्षा लेने का निश्चय किया। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को बुलाकर कहा –
“बच्चों! मैं तुम्हें बीज दे रहा हूँ। इसे घर ले जाओ, गमले में लगाओ और एक महीने बाद यहाँ लाओ। जिस छात्र का पौधा सबसे अच्छा होगा, उसे विशेष पुरस्कार मिलेगा।”
सभी बच्चे उत्साह से बीज लेकर चले गए। हर कोई अपने गमले में पानी डालने, खाद डालने और उसकी देखभाल करने में जुट गया।
परंतु आरव नाम का एक बच्चा रोज़ पानी डालता रहा, धूप दिखाता रहा, लेकिन बीज से कुछ भी अंकुरित नहीं हुआ। उसके गमले में सिर्फ मिट्टी ही मिट्टी थी। महीने भर मेहनत करने के बाद भी गमला खाली रहा।
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इनाम के दिन जब बच्चे विद्यालय पहुँचे, तो हर किसी के गमले में हरे-भरे पौधे थे। फूलों की महक से पूरा हॉल सज गया था। लेकिन आरव का गमला अभी भी खाली था।
प्रधानाचार्य मंच पर आए और सब गमले देखे। अचानक उन्होंने मुस्कराते हुए आरव को मंच पर बुलाया और कहा –
“आज का विजेता यही बच्चा है।”
सभी बच्चे और अभिभावक चकित हो गए। प्रधानाचार्य ने समझाया –
“दरअसल मैंने सभी बच्चों को उबले हुए बीज दिए थे, जिनसे अंकुर निकलना असंभव था। जो पौधे तुम सब लाए हो, वे किसी और बीज से उगे हैं। केवल आरव ने धैर्य और ईमानदारी दिखाई, उसने हार मानकर दूसरा बीज नहीं लगाया। यही सच्ची सफलता है।”
🌿 सीख
👉 धैर्य केवल इंतज़ार करने का नाम नहीं है, बल्कि ईमानदारी और दृढ़ता के साथ सही समय की प्रतीक्षा करना है।
👉 समाज में धैर्यवान व्यक्ति ही दूसरों के लिए विश्वसनीय बनता है।
👉 धैर्य हमें सिखाता है कि परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हों, अगर हम सही राह पर टिके रहें तो सफलता देर से ही सही लेकिन अवश्य मिलती है।