
विद्यालय के पास मोबाइल टावर रेडियेशन से बच्चों को प्रतिकूल प्रभाव का खतरा:टावर अनुमती की हो जांच
भाटपार रानी/ देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)
भाटपार रानी तहसील क्षेत्र के बनकटा विकास खण्ड में स्थित कस्तूरबा विद्यालय बनकटा/सोहनपुर पर सरकार द्वारा कुल 100 बच्चों के पठन पाठन हेतु सुविधा उपलब्ध कराई गई है वहीं विद्यालय के बगल में ही गत करीब दो माह पूर्व में विद्यालय एवं छात्र छात्राओं की अनदेखी कर नियम विरुद्ध तरीके से ही बीच आबादी में विद्यालय से सटे ही हैवी रेडियेशन वाले मोबाइल टॉवर को स्थापित कर दिया गया है जो अब गंभीर जांच का विषय है।
स्थानीय कस्तूरबा विद्यालय के छात्र/ अभिभावक में जागरूकता का अभाव भी है जो 100 छात्र संख्या के सापेक्ष कुल करीब 20 बच्चों के प्रवेश हेतु सीटें खाली बची पड़ी हैं। इसका एक कारण लगातार प्राइवेट स्कूलों को जारी किए जा रहे मान्यता को भी माना जा रहा है। वहीं पहले आओ पहले पाओ के आधार पर ही बच्चों के एडमिशन की व्यवस्था अभी है। जबकि स्थानीय जनता में इसकी जानकारी व जागरूकता का प्रायः अभाव होने से भी पूर्ण रूपेण बच्चों का एडमिशन नहीं हो पाया है। विद्यालय में कुल स्टाफ की संख्या यदि देखें तो यहां पर कुल 14 कर्मचारियों के तैनाती है वहीं यहां पर शिक्षण कार्य हेतु कुल 8 एवं अन्य गैर शैक्षणिक कार्य हेतु 6 लोगों की तैनाती है। बात यदि सरकारी कर्मचारी के करें तो यहां का पूरा का पूरा संचालन ही संविदा के स्टाफ के भरोसे है। जो कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को छोड़ अन्य सभी अधिकारी कर्मचारी को संविदा कर्मी के तौर पर ही तैनात किया गया है। विद्यालय में 20 मई को गर्मी के अवकाश की छुट्टी होनी है। वहीं यहां व्यवस्था की बात करें तो सोलर सिस्टम बच्चों हेतु होनी चाहिए, बाउंड्रीवल पर कटीला तार /बगल में शेड निर्माण, हल्की बरसात में ही जल जमाव से निजात मुख्य मार्ग से खड़ंजा निर्माण बरसात में जलमग्न होने से बचाव , पानी की समुचित निकाश नहीं है जिसका सुदृढ़ निकास आवश्यक है जो कि बगल के ग्रामीण जनों से विवाद की स्थिति बनी रहती है। *मोबाइल टावर के रेडियेशन का बच्चों पर मानसिक दुष्प्रभाव को बच्चों को प्रभावित कर रहा है टॉवर के अवैध रूप से अनुमती की जांच जो महज दो माह पूर्व टावर की स्थापना विद्यालय समीप आबादी क्षेत्र में की गई है जांच कर बन्द कराया जाना। नितांत आवश्यक है।यहां कस्तूरबा विद्यालय पर बिल्कुल ही फ्री शिक्षा सरकार के द्वारा निर्धारित एवं तय मानक के अनुरूप दिया जा रहा है।स्थानीय ब्लाक क्षेत्र के बच्चों के गार्जियन में जागरूकता के अभाव वस भी विद्यालय में सीटें खाली रह जा रही हैं। उपरोक्त सारी व्यवस्थाओं में सुधार तब ही देखने को मिल सकता है जबकि प्राइवेट विद्यालयों के लिए फंड देने वाले हमारे क्षेत्रिय जनप्रतिनिधि सांसद एवं विधायक के निधि से भी इन कस्तूरबा विद्यालयों के उद्धार की जिम्मेदारी का समुचित निर्वहन किया जाए।
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