December 3, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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बैठक में बरहज को पर्यटक स्थल बनाने की मांग उठी

व्यापार के लिए रेलवे गोदाम का होना आवश्यक-कमलेश शुक्ला

बरहज/देवरिया(राष्ट्र की परम्परा)
नगरपालिका क्षेत्र पलिया में बुधवार को समाजसेवी और ग्रामवासियों ने एक बैठक कर बरहज को पर्यटक स्थल घोषित करने पर विचार विमर्श कीया गया।
बैठक को सम्बोधित करते हुए समाजसेवी कमलेश शुक्ला ने बताया कि बरहज बाबा राघव दास की तपोभूमि हैं, और आज भी बाबा राघव दास को पूर्वांचल के गांधी के नाम से जाना जाता हैं। लेकिन उनके द्वारा स्थापित अनन्त पीठ आश्रम,जहां महान वीर सपूत पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल की समाधि स्थल व आश्रम के विकास की तरफ किसी भी जनप्रतिनिधियों का ध्यान नही गया, पीठ आज भी पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल की समाधि स्थल
पूरे भारत मे प्रसिद्ध हैं, लेकिन इस ऐतिहासिक स्थल को किसी ने प्रकाशित करने की जरुरत नहीं की।उन्होंने बताया कि बरहज विधानसभा क्षेत्र में ऐसे बहुत से ऐतिहासिक स्थल हैं जो विकास की राह जोह रहे हैं, किंतु किसी भी प्रतिनिधि ने अपनी नजर नहीं दौड़ाई। कमलेश शुक्ला ने बताया कि अंग्रेजी हुकूमत के समय बरहज में व्यापार के लिए जहाजरानी व रेलवे प्रमुख संसाधन थे। अंग्रेजों के जाने के बाद कुछ वर्षों तक व्यापार के लिये प्रमुख संसाधन के रूप में रेल व जहाजरानी लोगो को सेवा देते रहे, किंतु आज सारी सेवाएं लुप्त हो गई हैं। वही रेलवे से माल लाने व ले जाने के लिए मालगोदाम का कोई अस्तित्व नहीं रह गया है। सिर्फ रेलवे सवारी ढोने के लिए कारगर हैं। उन्होंने बताया कि यही बरहज रेलवे को बिर्टिश हुकूमत के समय व्यापार के लिए प्रमुख संसाधन के रूप में प्रयोग किया जाता रहा, किंतु आज अपनी विकास की राह जोह रहे है। बैठक को सम्बोधित करते हुए उन्होंने बताया कि बरहज जिसे आज भी लोग चारो धाम के रूप में जानते है। सरयू के पावन तट पर लगने वाले कार्तिक पूर्णिमा, माघी पूर्णिमा ,श्रावण मेला में लाखो श्रद्धालु सरयू नदी की पवित्र जलधारा में स्नान पुण्य का भागी होते हैं। वैसे तो तमाम ऐसे धार्मिक अवसरों पर श्रद्धालु भगवान की पूजा अर्चना कर अपने भगवान की सेवा करते है, और यही बरहज एक अलौकिक धार्मिक नगर के महत्व को दर्शाता है। शुक्ला ने बताया कि मैं पर्यटन विभाग से पत्र के माध्यम से यह मांग करता हु कि बरहज को पर्यटन स्थल घोषित कर विकास की ओर अग्रसर किया जाय।
इसी क्रम में समाजसेवी श्रीप्रकाश पाल ने बैठक में उपस्थित लोगों को बताया कि मण्डल में बरहज व्यापार का प्रमुख केंद्र के रूप में जाना जाता था, किंतु आज नदी में पानी ने होने से जहाजरानी से व्यापार का समाप्त होना और बरहज रेलवे से व्यापार का
समाप्त होना बरहज के विकास को कोसो दूर ढकेलने का कार्य किया गया हैं। बरहज रेल सेवा अंग्रेजो के समय से व्यापार के लिए संचालित रहा,किंतु आज सिर्फ सवारी ढोने के लिए संचालित है। बरहज रेलवे का मालगोदाम पूरी तरह से अपने अस्तित्व को खो चुका है लेकिन सरकार का ध्यान इसपर नही गया।
रेलवे व्यापार कर न होने की वजह से बरहज के बड़े बड़े उद्योगपति दूसरे शहरो में जाकर बस गए है।आज बरहज विकास से वर्षो से उपेक्षित हैं इसपर किसी का ध्यान नहीं गया।
श्रीप्रकाश पाल ने आगे बताया कि बरहज एक धार्मिक नगर के रूप में जाना जाता हैं,सरयू नदी के तट पर घाटो के वजह से हर धर्मिक अवसर पर लाखों श्रद्धालु सरयू नदी की पावन धरा में स्नान कर , पूजा अर्चना कर अपने आपको धन्य करते हैं, किंतु पहले की अपेक्षा वर्तमान समय में बरहज के धार्मिक स्थलों के विकास न होने से नगर में सनार्थियो की भीड़ धीरे धीरे होती गयी। लोगो की धार्मिक आस्था दूसरे धार्मिक नगरों की ओर अग्रसित होती जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि सरकारें आती रही जाती जाती रही लेकिन रेलवे स्टेशन के विकास पर कोई बात करने को तैयार नहीं है, आज बरहज का व्यापार रेलवे के विकास न होने से काफी पिछड़ गया है। हम सभी लोग पर्यटन व रेल मंत्रालय से यही मांग करते है कि रेल मालगोदाम के साथ बरहज को पर्यटक स्थल घोषित किया जाय। ताकि बरहज विकास की ओर अग्रसर हो। बैठक के दौरान नंदकुमार यादव, महेंद्र नाथ, रत्नेश प्रसाद, बिंदु कुमार, गोलू पाण्डेय, सुरेंद्र यादव, दिनेश यादव, रमेश, हरिशंकर मौजूद रहे।