कोरोना वाइरस की महामारी से दो
वर्षों के अनुभव से विश्व जनमत को
सदा सदा के लिए अनेक महत्व पूर्ण
सीखें मिली हैं व अब भी मिल रही हैं।
ज़्यादातर लोग घर से बहुत काम
यानी वर्क फ़्रोम होम कर सकते हैं,
हम सभी व बच्चे भी जंक फ़ूड के
बग़ैर अब आसानी से रह सकते हैं।
छोटे अपराधों के लिए क़ैदियों को,
बिना जेल के सुधारा जा सकता है,
कम समय में अस्पताल बन सकते हैं,
ग़रीब को अरबों पैसे मिल सकते हैं।
बिना विदेश भ्रमण किए छुट्टियाँ
आसानी से बिताई जा सकती हैं,
धनी देशों का अस्तित्व भी गरीब
देशों की तरह ही ख़त्म हो सकता है।
बल्कि विकसित देश ज़्यादा आसानी
से अपनी सारी साख मिटा देते हैं,
भारतीय संयुक्त परिवार पृथा अभी
भी सारी दुनिया में सर्व श्रेष्ठ सिद्ध है।
आधुनिक शिक्षा पद्धति बच्चों के
लिए अनावश्यक बोझ हो चुकी हो,
बुद्धिमानी से धन का उपयोग करें तो
इसकी इतनी ज़रूरत महसूस न हो।
यह सिद्ध होता है कि कोविड के
इन अनुभवों से यातायात के लिए,
अनावश्यक रूप से पेट्रोल, डीज़ल व
गैस का उपयोग नहीं करना चाहिए।
बड़े व बुजुर्ग लोग हमारी पारिवारिक
इकाई की सबसे बड़ी आवश्यकता हैं,
पतिदेव घर के अच्छे रसोईया बन,
घरेलू कामों को बखूबी कर सकते हैं।
बिना घर की काम वाली के भी
घर आसानी से चल सकता है,
सभी परिवार अनावश्यक शारीरिक
उपचार किए भी स्वस्थ रह सकते हैं।
बस थोड़ी सी अधिक सावधानियाँ
बरतने की सबको ज़रूरत होती है,
मितव्ययिता से घर का मासिक खर्च
भी बहुत कम किया जा सकता है।
दैनिक पूजा पाठ भी नियमित रूप
से समय से किये जा सकते हैं,
ज़रूरत पर अपनों व दूसरों के लिये
भी पूजा प्रार्थना किये जा सकते हैं।
अन्य कई पहलू भी परिवार, समाज
के लिए विशिष्ट देन सिद्ध हो सकते हैं,
आदित्य संसार के लिए कोविद तथा
महामारी के यह रचनात्मक पहलू हैं।
•कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ
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