Monday, October 27, 2025
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आस्था, विश्वास व सूर्यदेव की उपासना का वृतपर्व छठपूजा

छठिमैया मोरी विनती बारम्बार,
स्वीकारौ अर्ध्य हमार।
छठिमैया बड़का परब बरत पूजा बा,
यामे कौनो पंडित नाहीं,
कोउ नाहीं पूजारी,
सूरज देवता अर्ध्य लेवत हैं,
डूबत उगत तैयारी,
डूबत सूरजन का पूजत बा
सब भोले नर नारी।
छठिमैया मोरी विनती….

सबय करत बरत औ पूजन,
ना कोउ ऊँच ना नीचा,
लोकगीत पुरबिया गावैं,
गावैं सबय बरतधारी,
सब पकवान घरै मा बनावत
लरिका बिटिया खाईं,
सगरी रात घाट भरि नहावैं
कोऊ ऊँच न नीच जनाईं।
छठिमैया मोरी विनती ……

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टोकरियाँ भरि भरि बटत परसदवा
अमीरौ गरीबवा खाई,
बहुतै श्रद्धा भगति करत सब
पूजत सूरज औ छठि माई,
लगातार छत्तीस घंटा तक बरती
बिन खाये पिये रहि जाई,
छठिमैया मोरी विनती बारम्बार,
स्वीकारौ अर्ध्य हमार।

बढ़ै सामाजिक सौहार्द,
सदभाव, आस्था व विश्वास,
शांति, समृद्धि व सादगी आवति
छठिमैया भरती घर द्वार,
पवित्रता का महापरब है,
फ़ूलैं फलैं सब सपरिवार,
आदित्य देत बधाई औ
शुभकामना सब करौ स्वीकार।
छठिमैया मोरी विनती…..

डॉ कर्नल आदि शंकर मिश्र
‘आदित्य’

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