
बघौचघाट/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)
पथरदेवा विकास खंड क्षेत्र में ईद उल अजहा पर्व को लेकर मुस्लिम समाज में सुबह से ही उत्साह रहा।शनिवार सुबह से ही ईदगाहों में लोगों की भरी भीड़ जुटने लगी।विशेषकर बच्चों में नए कपड़े पहनकर ईदगाह जाने को लेकर खासा उत्साह देखा गया। सुबह लगभग 6:30 बजे से ही पथरदेवा क्षेत्र के सभी ईदगाहों/मस्जिदों में ईद उल अजहा की नमाज पढ़ने का सिलसिला शुरू हुआ,जो नियत समय तक चला।तत्पश्चात ग्रामीण क्षेत्रों में अमन चैन के लिए दुआएं मांगी गईं।वही लोग एक दूसरे के गले मिलकर बकरीद की दिली मुबारकबाद दी गई। इस दौरान ईदगाह सहित ग्रामीण क्षेत्र के सभी मस्जिद समेत क्षेत्र में थानाध्यक्ष प्रदीप कुमार अस्थाना ने सुरक्षा के पुलिस बल का पुख्ता इंतजाम किए गए थे।ईद की नमाज के बाद बकरा ईद के नाम से मशहूर ईद उल अजहा पर्व पर जानवरों की कुर्बानी देने की परंपरा निभाई गई। तीन दिन तक चलने वाले इस पर्व के दौरान मुस्लिम समाज के साहिबे हैसियत लोगों पर इस्लाम के अनुसार कुर्बानी वाजिब रहती है।इस दौरान क्षेत्र के बघौचघाट हाजी मार्केट,मलसी खास,मेदीपट्टी बेलनिया,मोतीपुर,श्याम पट्टी,बसडीला मैनुद्दीन,मेंहा हरंगपुर,रामपुर महुआबारी, हरफोड़ा,भेलीपट्टी,मस्जिदिया,मुरार छापर, पोखर भिंडा,रामनगर,पकहां,सेमरी आदि जगहों पर बकरा ईद की नमाज अदा की गई।जामिया इस्लामिया मुन्नी बेगम निस्वा श्यामपट्टी के प्रधानाचार्य मौलाना बदरुद्दीन सिद्दीकी ने बताया कि इस्लाम के पैगम्बर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम के द्वारा अपने एकलौते बेटे हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम को कुर्बान करने को तैयार होने की याद में अल्लाह की रजा के लिए अंजाम देते हैं। इस दौरान कुर्बानी के जानवर को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। जिसमें से एक हिस्सा जानवर के मालिक,एक रिश्तेदारों और फिर शेष बचा हिस्सा गरीबों में बांटा जाता है।कुर्बानी का मकसद अल्लाह की मुहब्बत पर दुनिया की मोहब्बत गालिब न हो जाए।
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