Saturday, December 20, 2025
HomeUncategorizedइलाज और एंबुलेंस के अभाव में टूटा एक परिवार का सहारा

इलाज और एंबुलेंस के अभाव में टूटा एक परिवार का सहारा

बिहार के नवादा में स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल: शव वाहन न मिलने पर ठेले पर घर ले जाया गया युवक का शव

नवादा (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)बिहार के नवादा जिले से सामने आई एक मार्मिक घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की जमीनी सच्चाई को भी उजागर कर दिया है। गोविंदपुर थाना क्षेत्र के गोविंदपुर बाजार स्थित कुम्हारटोली मोहल्ले में 30 वर्षीय युवक की मौत के बाद परिजन उसके शव को ठेले पर रखकर घर ले जाने को मजबूर हुए। यह दृश्य देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं।

मृतक की पहचान कुम्हारटोली निवासी अखिलेश पंडित के रूप में हुई है। परिजनों के अनुसार, अखिलेश की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। घबराए परिजन उन्हें तुरंत गोविंदपुर बाजार स्थित एक निजी क्लीनिक में लेकर पहुंचे। वहां मौजूद चिकित्सकों ने प्राथमिक जांच के बाद हालत गंभीर बताते हुए उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोविंदपुर रेफर कर दिया।

ये भी पढ़ें –अवैध सिरप कारोबार पर यूपी में बड़ा एक्शन, कई गिरफ्तार

परिजन किसी तरह अखिलेश को सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। मौत की खबर मिलते ही अस्पताल परिसर में कोहराम मच गया। मां-बाप, भाई-बहन और अन्य परिजन बेसुध हो गए। हर तरफ चीख-पुकार और गम का माहौल छा गया।

मगर सबसे दर्दनाक मंजर इसके बाद देखने को मिला। अस्पताल प्रशासन की ओर से शव वाहन या एंबुलेंस की कोई व्यवस्था नहीं की गई। मजबूर होकर परिजनों ने अखिलेश के शव को एक ठेले पर रखा और उसी ठेले से घर ले गए। सड़क पर ठेले पर रखा शव और पीछे-पीछे रोते-बिलखते परिजनों को देखकर राहगीर भी भावुक हो उठे। कई लोग खामोशी से इस दृश्य को देखते रहे, तो कुछ ने व्यवस्था पर नाराजगी जताई।

घटना के बाद गोविंदपुर बाजार और आसपास के इलाकों में शोक की लहर दौड़ गई है। अखिलेश के घर में मातम पसरा हुआ है। मोहल्ले के लोग और रिश्तेदार परिजनों को ढांढस बंधाने पहुंच रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर समय पर बेहतर इलाज, सुविधाएं और आपात सेवाएं उपलब्ध होतीं, तो शायद अखिलेश की जान बचाई जा सकती थी।

यह घटना एक बार फिर सवाल खड़ा करती है कि आखिर ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं कब तक बदहाल रहेंगी और आम लोगों को कब तक ऐसी अमानवीय परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments