Sunday, December 21, 2025
Homeउत्तर प्रदेशउधार का दिया : उधार का लिया

उधार का दिया : उधार का लिया

उधार देने वाले जब उधार दिया हुआ
वापस माँगते हैं वो भिखारी हो जाते हैं,
और वही उधार लेने वाले धन्नासेठ की
तरह तारीख़ पर तारीख़ देते जाते हैं।

रहिमन वे नर मर चुके
जो कछु माँगन जाहिं।
उनसे पहले वे मुये जो
कहि देते नाहिं ॥

और जिनको उधार वापस करने की
नियति नही होती है, वे धन्नासेठ तो
धीरे धीरे ऐसा माहौल बना लेते हैं,
कि देने वाले को दुश्मन बना देते हैं।

मनुष्य लालच व स्वार्थ में दूसरे से
सारे सम्बंध तक समाप्त कर लेता है,
और अपने ही पाप के प्रायश्चित्त में,
जीवन में असंतुलन पैदा कर लेता है।

खुद के सुख शान्ति का कारण तो
अपना संतुलित जीवन ही होता है,
जिसकी खोज में तनावग्रस्त होकर
पूरा जीवन ही व्यथित कर लेता है।

लोग यह भी भूल जाते हैं कि जो
उनका है उन्हें समय आने पर मिलेगा,
और जो उनका नहीं है, कितनी भी
कोशिश कर लो, छिनना है, छिनेगा।

जीवन में कोई कितना सही है और
कितना ग़लत, सिर्फ़ वही जानता है,
हाँ, आदित्य उसकी अन्तरात्मा और
परमात्मा से कोई कुछ छिपा नहीं है।

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments