March 14, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

क़यामत आने वाली है

कविता

दुनिया वालों संभल जाओ,
क़यामत आने वाली है,
अपराधों से करो तौबा,
मुसीबत बढ़ने वाली है।

दुशवारियाँ करी पैदा
जो औरों को सताओगे,
पलट कर वार झेलोगे,
ख़ुदा की मार खाओगे।

डरो अंजामें क़ुदरत से,
उसे नज़रों से दिखता है,
उसी की रहनुमाँई में,
ये सारा जहां पलता है।

बचकर कहाँ जाओगे उसकी
न्यायिक प्रणाली से अनजानों,
परमात्मा का ख़ौफ़ कुछ खाओ,
ओ दुराचारी दरिंदो और शैतानों।

शैतानों कैसी दरिंदगी हो करते,
जहाँ चाहो वहीं मुँह मारते फिरते,
नहीं छोड़ी बहन बेटी भी अपनों की,
दुष्कर्म और हत्या भी तुम्हीं करते।

सजाये जेल से तो हो नहीं डरते,
फाँसी लटकने से भी नहीं डरते,
कैसे संस्कार पाये माता पिता से,
ख़ुदा के क़हर से भी तुम नहीं डरते।

घृणा हो रही ऐसी परवरिश से,
जो पापी बना देती है संतानों को,
आदित्य अवतार ले आओ प्रभू,
मुक्त करना है पापियों से धरा को।

•कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’