June 18, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

मेरी रचना, मेरी कविता

पहले आप पहले आप भूल गये
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बुत पत्थरों की भाँति ख़ामोश हैं,
आज लोगों के रिश्ते और सम्बंध,
पहले आप पहले आप भूल गए हम,
पहले कौन पहले कौन ही भरा दंभ।

मैं मुसीबत के वक्त किसी मित्र
के काम आ पाऊँ या न आ पाऊँ,
मुझे आवाज़ दे वह देख तो लेगा,
मुझे भी व उसे भी अच्छा लगेगा।

सच्चाई व ईमानदारी सादी वेष भूषा
में भी व्यक्तित्व की आभा फैलाती है,
परंतु इंसान की शारीरिक सज धज,
झूठ व फ़रेब में फीकी पड़ जाती है।

कहते हैं इंसान सफल तब होता है,
जब वह इस दुनिया को नहीं बल्कि,
स्वयं को बदलना शुरू कर देता है,
उसका चरित्र औरों को प्रिय होता है।

प्रेरणा लेनी है तो लहरों से लीजिये,
इसलिये नही कि वे उठकर गिरती हैं,
बल्कि जब भी वे उठ कर गिरती हैं,
एक नए जोश से फिर ऊपर उठती हैं।

मैं आजीवन अपने साथियों को दिल
खोलकर दुआयें शुभ कामना देता रहा,
पर वक्त जब आया मेरे लिये दुआ
करने का, किसी को ध्यान नहीं रहा।

अक्सर सुना जाता है कि अच्छे लोगों
का साथ रखिए बुरे लोगों से दूर रहिए,
अच्छा तो यह कि सबके साथ रहिये,
आदित्य अच्छाई ले बुराई दूर रखिये।

कर्नल आदि शंकर मिश्र, आदित्य
लखनऊ