जमीनी विवाद में अदालत ने सुनाई दो माह की सजा, अयोध्या में मचा हड़कंप
अयोध्या (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)
सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी हरिद्वारी पट्टी के चर्चित श्रीमहंत मुरली दास को अदालत ने बड़ा झटका दिया है। अपर सिविल जज (सीनियर डिवीजन द्वितीय) एवं एसीजीएम श्रीमती स्वर्ण माला सिंह की अदालत ने शनिवार को उन्हें न्यायालय की अवमानना का दोषी मानते हुए दो माह की कारावास की सजा सुनाई और जेल भेजने का आदेश दिया।
मामला क्या है?
यह विवाद सीतापति बनाम महंत मुरली दास (वाद संख्या–29/2022) से जुड़ा है। मामला एक जमीन को लेकर लंबे समय से अदालत में विचाराधीन था। सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि महंत मुरली दास ने न्यायालय के आदेशों की अवमानना की है। इसके आधार पर उन्हें सजा सुनाई गई।
वादी पक्ष की ओर से सीतापति के पति एवं पैरोकार रामसजन वर्मा और वरिष्ठ अधिवक्ता देवकीनंदन त्रिपाठी ने बताया कि अदालत का यह फैसला महत्वपूर्ण है और अब इस मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर 2025 को होगी।
अयोध्या में मचा हड़कंप
अदालत का आदेश सामने आते ही हनुमानगढ़ी परिसर में हड़कंप मच गया। श्रीमहंत मुरली दास हरिद्वारी पट्टी के प्रभावशाली और विवादित महंतों में गिने जाते हैं। उनका नाम कई बार विभिन्न विवादों में सामने आ चुका है। इस वजह से उनके जेल जाने की खबर से न केवल धार्मिक गलियारों में बल्कि अयोध्या की सियासत में भी हलचल तेज हो गई है।
इसे भी पढ़ें – https://rkpnewsup.com/free-medical-camp-organized-by-rashtriya-swayamsevak-sangh-rss-service-department/
पृष्ठभूमि हनुमानगढ़ी, अयोध्या का प्रमुख और ऐतिहासिक मठ है, जहां चारों पट्टियों के महंतों का प्रभाव चलता है। हरिद्वारी पट्टी के महंत मुरली दास पिछले कई दशकों से सक्रिय हैं और मठ के प्रबंधन में उनकी अहम भूमिका रही है। जमीन से जुड़े मामलों में पहले भी हनुमानगढ़ी की कई पट्टियां अदालत के दरवाजे खटखटा चुकी हैं। हालांकि, किसी महंत को सीधे जेल भेजने का यह पहला बड़ा मामला माना जा रहा है।
वादी पक्ष की प्रतिक्रिया
वादी सीतापति के पति रामसजन वर्मा ने कहा कि यह फैसला न्याय की जीत है। उन्होंने दावा किया कि लंबे समय से जमीन पर कब्जे और आदेशों की अवहेलना को लेकर संघर्ष चल रहा था। अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए महंत को दोषी पाया और जेल भेजा।
समर्थकों में मायूसी
महंत मुरली दास के समर्थकों में निराशा और मायूसी साफ देखी गई। हनुमानगढ़ी में उनके अनुयायियों ने चुप्पी साध ली है, लेकिन अंदरखाने यह चर्चा है कि आने वाले दिनों में पट्टी के भीतर और भी विवाद गहराएंगे।
आगे क्या?
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि महंत मुरली दास इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं। फिलहाल उन्हें दो माह की सजा भुगतनी होगी। अगली सुनवाई से पहले इस विवाद पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।