सिकन्दरपुर /बलिया (राष्ट्र की परम्परा)
केन्द्र व प्रदेश सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के तहत सभी गांवों व नगरों मे साफ सफाई के लिए लाखों करोड़ों रुपये खर्च किया जा रहा हैं, यहां तक कि सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन की सफलता के बड़े-बड़े दावे भी किये जा रहे हैं। पर जमीनी हकीकत कुछ और ही बंया कर रही हैं। शासन प्रशासन व राजनैतिक जनप्रतिनिधियों के रूप मे कुछ जयचंदों की लापरवाह कार्यप्रणाली के चलते आज भी दर्जनों गांव स्वच्छ भारत मिशन की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहें हैं।
बताते चलें कि क्षेत्र के सिवानकला, नेहता, नेमा का टोला, चेतन किशोर, जलालीपुर, लीलकर, कोथ, मालदह, बघुड़ी, डुंहा बिहरा, भीमहर, कुड़ीडीह, झोरीडीह, हड़सर, जमालपुर व सिकिया सहित दर्जनों गांव फाइलों मे तो “स्वच्छ भारत मिशन” की सफलता के झंडे गाड़ दिये हैं, पर वास्तविक स्थिति ठीक इसके उल्टा है, दर्जनों गांवों मे अभी भी गंदगी का अंबार लगा हुआ हैं, नालियां खुलेआम आने जाने वाले मार्गों पर बह रहीं हैं। वही आज भी कई गांवों के लोग व महिलाएं खुले में शौच करने को मजबूर है, जिसका गवाह क्षेत्र के कई मुख्य मार्ग है, जिन मार्गो पर गुजरने से ऐसा प्रतीत होता हैं कि स्वच्छ भारत मिशन सिर्फ एक नारा बनकर रह गया हैं। ताजा हालात ये है कि क्षेत्र के कई गांवों मे अभी भी बहुत सारे गरीबों को शौचालय नहीं मिला हैं, जिसके चलते लोग आज भी खुले मे शौच को मजबूर हैं। वहीं लगभग सभी गांवों मे साफ सफाई भी ना के बराबर हैं, कई गांवों मे तो सफाई कर्मचारी भी नहीं आते जिसको लेकर ग्रामीणों मे घोर आक्रोश हैं। कोथ गांव निवासी एक ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सरकार की सभी योजनाएं सिर्फ़ नेताओं के भाषणों और उनकी जेब भरने तक में सफल हैं, जबकि जमीनी हकीकत यह हैं कि योजनाओं के असली हकदार जो गरीब हैं। उन्हें आज भी इन योजनाओं का शत प्रतिशत लाभ नहीं मिल रहा है, जिसके चलते सरकार द्वारा पैसा खर्च करने के बाद भी सरकार की आमजनता मे अंदर ही अंदर खूब किरकिरी हो रही हैं। लोगों का कहना है कि नगर पंचायत एवं ब्लॉक स्तर पर तैनात अधिकारियों की लचर कार्यप्रणाली की वजह से जमीनी स्तर पर शासन के मनसा अनुरूप कार्य नहीं हो रहा है।
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