August 6, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

पहली बार

आज
मैं पहली बार
मन्दिर की ओर चल पड़ा
घण्टों वहाँ बैठा रहा
और जब घर लौटा —
तो रात भर बस यही सोचता रहा
कि वर्षों तक
मैं ईश्वर का खण्डन करता रहा
क्या वह सही था?

जबकि आज, पहली बार —
मुझे जीवन में
इतना शान्ति और सुकून मिला।

मैं लगातार सोचता रहा —
वो कौन-सी ऊर्जा थी
मन्दिर परिसर में
जो मुझे आज
इस सोच तक ले आई —
कि मैं गलत था।

-प्रतीक झा ‘ओप्पी’
इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज