
मुंबई (राष्ट्र की परम्परा ) केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास आठवले हमेशा ही राजनीति और सामाजिक कार्यों पर अपनी कविताएँ सुनाते हैं। ठीक इसी तरह घाटकोपर में आयोजित एक कार्यक्रम में, उन्होंने’दलित पैंथर’ की यादों को ताज़ा करते हुए प्रासंगिक कविता सुनाकर लोगों का दिल जीत लिया। मौका था पैंथर से आज तक आठवले के सहयोगी डीएम चव्हाण के अमृत महोत्सव जन्मदिन समारोह का। इस अवसर पर आठवले ने बताया कि ‘दलित पैंथर’ संगठन समाज के लिए कितना महत्वपूर्ण था इस बारे में चर्चा की। बता दें कि घाटकोपर पूर्व के
झवेरबेन पोपटलाल सभागृह में आर पी आई के नेता डी.एम. चव्हाण का ७५ वा अमृत महोत्सव जन्मदिन समारोह रामदास आठवले के हाथों केक काटकर मनाया गया। इस अवसर पर आठवले की पत्नी सीमाताई आठवले के साथ-साथ रिपब्लिकन नेता गौतम सोनवणे, मुंबई प्रदेश अध्यक्ष सिद्धार्थ कसारे, जयंतीभाई गडा और पार्टी के कई अन्य पदाधिकारी मौजूद थे। इस अवसर पर दादासाहेब यादव, अरुण वाघ, जीवन भालेराव, कुणाल तुरेराव द्वारा संपादित चव्हाण पर एक विशेषांक का विमोचन किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए, आठवले ने पैंथर युग के दौरान सामाजिक मुद्दों पर उठाए गए आंदोलनों, मोर्चेऔर सामाजिक प्रश्नों पर किए गए आंदोलन को याद किया। गौतम सोनवणे ने पैंथर आंदोलन की शुरुआत का एक ग्राफ भी प्रस्तुत किया। इस बीच अपने स्वागत समारोह पर बोलते हुए डीएम चव्हाण ने कहा कि दलित पैंथर आंदोलन चरम पर था। इसलिए, सामाजिक अन्याय के खिलाफ लड़ना अक्सर आवश्यक होता था। हालाँकि आज स्थिति बदल गई है, लेकिन समाज पर अन्याय अभी भी कुछ हद तक पहले की तरह दिखाई देता है। कार्यक्रम का संचालन संदीप धम्मरक्षित ने किया।
