
नवी मुंबई (राष्ट्र की परम्परा) नवी मुंबई की एक स्थानीय अदालत ने शनिवार को एक अहम निर्णय सुनाते हुए भारत में अवैध रूप से रह रहे सात बांग्लादेशी नागरिकों को दोषी करार दिया है। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि इन सभी विदेशी नागरिकों को 28 जुलाई 2025 के बाद उनके देश – बांग्लादेश – वापस भेज दिया जाए।
मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि सभी सातों आरोपी भारत में बिना वैध वीजा और यात्रा दस्तावेजों के रह रहे थे। इन्हें स्थानीय पुलिस और प्रवासी नियंत्रण इकाई द्वारा एक विशेष अभियान के तहत गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के समय उनके पास न तो भारतीय नागरिकता से संबंधित कोई दस्तावेज थे और न ही वैध वीजा या पासपोर्ट।
अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इन पर भारतीय दंड संहिता और विदेशी नागरिक अधिनियम, 1946 की धाराओं के अंतर्गत मुकदमा चलाया। सुनवाई के बाद न्यायालय ने उन्हें दोषी करार देते हुए यह आदेश जारी किया कि 28 जुलाई 2025 तक इनकी वापसी की समुचित प्रक्रिया पूरी की जाए और इसके बाद इन्हें बांग्लादेश डिपोर्ट कर दिया जाए।
पुलिस व प्रशासन सतर्क
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई अवैध प्रवासियों पर कड़ी नजर रखने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। नवी मुंबई पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हम लगातार ऐसे मामलों की जांच कर रहे हैं। अवैध रूप से भारत में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून व्यवस्था से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।”
स्थानीय सुरक्षा एजेंसियां सतर्क
इस पूरे मामले में केंद्रीय और राज्य स्तर की सुरक्षा एजेंसियों को भी सतर्क किया गया है ताकि इन आरोपियों को वापस भेजने की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और नियमों के अनुसार हो। सूत्रों के अनुसार, संबंधित उच्चायोग से भी संपर्क किया जा चुका है।
समाज में मिला मिला-जुला प्रतिक्रिया
इस निर्णय पर नागरिकों की मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। कई लोगों ने अदालत के फैसले की सराहना की और इसे देश की सुरक्षा के हित में बताया, वहीं कुछ सामाजिक संगठनों ने ऐसे मामलों में मानवीय आधार पर भी विचार करने की अपील की।
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