Tuesday, October 14, 2025
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नेताओं, कलाकारों और समाजसेवियों की विरासत

⚰️ 14 अक्टूबर को हुए प्रसिद्ध निधन


रज़िया सुल्तान (1240) – दिल्ली की पहली महिला शासिका
रज़िया सुल्तान का निधन 14 अक्टूबर 1240 को हुआ। वे दिल्ली की पहली और एकमात्र महिला शासिका थीं। रज़िया ने शासन में साहस, न्यायप्रियता और प्रशासनिक कौशल का परिचय दिया। उनका योगदान भारतीय इतिहास में महिला नेतृत्व की मिसाल है। उन्होंने समाज में महिलाओं की स्थिति सुधारने और न्याय प्रणाली को सुदृढ़ करने का प्रयास किया। उनका जन्मस्थान दिल्ली था और उन्होंने शासनकाल में कई प्रशासनिक और सामाजिक सुधार किए।
नरसिंह चिंतामन केलकर (1947) – पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी
नरसिंह चिंतामन केलकर का निधन 14 अक्टूबर 1947 को हुआ। वे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के सहयोगी और प्रसिद्ध पत्रकार थे। उनका योगदान स्वतंत्रता संग्राम और पत्रकारिता में अमूल्य रहा। उन्होंने भारतीय समाज और राजनीति में जागरूकता फैलाने का काम किया। उनका जन्म महाराष्ट्र में हुआ था। केलकर ने शिक्षा, पत्रकारिता और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
दसरथ देब (1998) – भारतीय कम्युनिस्ट नेता
दसरथ देब का निधन 14 अक्टूबर 1998 को हुआ। वे भारतीय कम्युनिस्ट नेता और त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री थे। उनका योगदान राजनीतिक सुधार, सामाजिक न्याय और जनहित के लिए प्रयास करना रहा। देब ने त्रिपुरा के विकास और समाज कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जन्मस्थान त्रिपुरा था। उन्होंने शिक्षा, राजनीतिक नेतृत्व और समाज सुधार में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
दत्तोपंत ठेंगड़ी (2004) – मजदूर संघ के संस्थापक
दत्तोपंत ठेंगड़ी का निधन 14 अक्टूबर 2004 को हुआ। वे भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक और राष्ट्रवादी विचारक थे। उनका योगदान मजदूर अधिकारों, सामाजिक न्याय और राजनीतिक जागरूकता में अतुलनीय था। ठेंगड़ी ने समाज के कमजोर वर्गों के लिए संघर्ष किया और मजदूरों को संगठित किया। उनका जन्मस्थान महाराष्ट्र था। उन्होंने शिक्षा और मजदूर सुधार के क्षेत्र में भी योगदान दिया।
मोहन धारिया (2013) – पूर्व केंद्रीय मंत्री और समाजसेवी
मोहन धारिया का निधन 14 अक्टूबर 2013 को हुआ। वे भारतीय राजनीति और समाज सेवा में सक्रिय थे। उन्होंने ग्रामीण विकास, शिक्षा और सामाजिक कल्याण में योगदान दिया। उनका जन्मस्थान महाराष्ट्र था। धारिया का योगदान समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाना और शिक्षा के माध्यम से विकास करना रहा।
शोभा नायडू (2020) – प्रसिद्ध कुचिपुड़ी नृत्यांगना
शोभा नायडू का निधन 14 अक्टूबर 2020 को हुआ। वे कुचिपुड़ी नृत्य की प्रख्यात कलाकार थीं। उनका योगदान भारतीय शास्त्रीय नृत्य को विश्व स्तर पर पहचान दिलाना और कला शिक्षा में युवाओं को मार्गदर्शन देना रहा। उनका जन्मस्थान आंध्र प्रदेश था। शोभा नायडू ने कला, शिक्षा और सांस्कृतिक समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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