Rkpnews आजादी के अमृत महोत्सव कालमें देशप्रौद्योगिकी स्वास्थ्य यातायात शिक्षा दूरसंचार सहित लगभग सभी क्षेत्रों में रोज नए-नए ऊर्जा के आयामों के अध्याय को जोड़कर इतिहास रचा रहा है जिससे हर भारतवासी सहित अप्रवासी इस गौरवमई उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहे हैं यहां तक कि दुनिया की नजरें भी भारत की ओर लगी हुई है कि भारत अगर 75 वें अमृत महोत्सव काल में इतनीं कुछ उपलब्धियां हासिल कर रहा है तो भारत का सौवां स्वर्ण जयंती महोत्सव याने विज़न 2047 कितना अद्भुत विशाल और स्वर्णिम होगा इसका अंदाजा लगाकर भारतीयों अनिवासी और प्रवासी भारतीयों को गर्व और दुनिया भर में बसने वाले मानवीय जीवो के हृदय में जरूर विचार आएगा काश हम भारतवासी होते!! ऐसी है मेरी ममतामई भारत माता की गाथा! हालांकि भारत की गाथाओं का वर्णन शब्दों में नहीं किया जा सकता, परंतु चूंकि 8 सितंबर 2022 को राज पथ अब कर्तव्य पथ हो गया है इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से इस नए भारत की भव्य तस्वीर कर्तव्य पथ की चर्चा करेंगे। साथियों बात अगर हम ब्रिटिश काल में भारत पर अंग्रेजों के शासन की करें तो सोने की चिड़िया के अनेक महत्वपूर्ण स्थानों, संस्थानों, ऐतिहासिक जड़ों,गड़ों को अंग्रेजों ने अपने तरीके से नाम रखकर, बदलकर, रूपांतरित कर अपने नाम दिए थे और भारत को गुलामी कीजंजीरों से जकड़ कर पाश्चात्य भारत का रूप देने की परिकल्पना के आयाम हासिल करने के मंसूबे रचकर अपना काम किया परंतु भारत माता के सपूतों ने ज़ज्बे और जांबाज़ी से देश को आजाद कराया परंतु आज भी उस गुलामी के सैकड़ों धब्बे जरूर दिखते हैं, जिसकी धुलाई करना शुरू है जिसमें से एक राजपथ टू कर्तव्य पथ सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण है साथियों बात अगर हम राजपथ टू कर्तव्यपथ की करें तो दिनांक 8 सितंबर 2022 को देर रात्रि तक माननीय पीएम महोदय ने राष्ट्र को सौंपा और पीआईबी के अनुसार अपने संबोधन में कहा, औपनिवेशिक परंपरा को पीछे छोड़ते हुए अमृत काल में अपनी ही विरासत के साथ आजादी के 100 वर्ष पूरे होने की ओर बढ़ना ही ठीक हैं उन्होंने कहा, अगर पथ ही राजपथ हो,तो यात्रा लोकमुखी कैसे होगी? राजपथ ब्रिटिश राज के लिए था, जिनके लिए भारत के लोग गुलाम थे।राजपथ कीभावना भी गुलामी का प्रतीक थी, उसकी संरचना भी गुलामी का प्रतीक थी।आज इसका आर्किटेक्चर भी बदला है, और इसकी आत्मा भी बदली है।उन्होंनेकर्तव्य पथ केवल ईंट-पत्थरों का रास्ता भर नहीं है, ये भारत के लोकतांत्रिक अतीत और सर्वकालिक आदर्शों का जीवंत मार्ग है। उन्होंने कहा आज देश अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे सैकड़ों कानूनों को बदल चुका है। भारतीय बजट, जो इतने दशकों से ब्रिटिश संसद के समय का अनुसरण कर रहा था, उसका समय और तारीख भी बदली गई है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए अब विदेशी भाषा की मजबूरी से भी देश के युवाओं को आजाद किया जा रहा है।आजादी के अमृत महोत्सव में, देश को आज एक नई प्रेरणा मिली है, नई ऊर्जा मिली है। आज हम गुजरे हुए कल को छोड़कर, आने वाले कल की तस्वीर में नए रंग भर रहे हैं। आज जो हर तरफ ये नई आभा दिख रही है, वो नए भारत के आत्मविश्वास की आभा है। गुलामी का प्रतीक किंग्सवे यानि राजपथ, आज से इतिहास की बात हो गया है, हमेशा के लिए मिट गया है। आज कर्तव्य पथ के रूप में नए इतिहास का सृजन हुआ है। मैं सभी देशवासियों को आजादी के इस अमृतकाल में, गुलामी की एक और पहचान से मुक्ति के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। उन्होंने कहा, आज के इस अवसर पर, मैं अपने उन श्रमिक साथियों का विशेष आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जिन्होंने कर्तव्यपथ को केवल बनाया ही नहीं है, बल्कि अपने श्रम की पराकाष्ठा से देश को कर्तव्य पथ दिखाया भी है। आज इंडिया गेट के समीप हमारे राष्ट्रनायक नेताजी सुभाषचंद्र बोस की विशाल मूर्ति भी स्थापित हुई है। गुलामी के समय यहां ब्रिटिश राजसत्ता के प्रतिनिधि की प्रतिमा लगी हुई थी आज देश ने उसी स्थान पर नेताजी की मूर्ति की स्थापना करके आधुनिक, सशक्त भारत की प्राण प्रतिष्ठा भी कर दी है।आज भारत के आदर्श अपने हैं, आयाम अपने हैं, आज भारत के संकल्प अपने हैं, लक्ष्य अपने हैं. आज हमारे पथ अपने हैं,प्रतीक अपने हैं।देश के विकास में एक और संविधान है और दूसरी ओर श्रमिकों का योगदान है. यही प्रेरणा देश को आगे और भी कर्तव्य पथ देगी। उन्होंने कहा, मैं देश के हर एक नागरिक का आह्वान करता हूं, आप सभी को आमंत्रण देता हूं, आइये, इस नवनिर्मित कर्तव्यपथ को आकर देखिए, इस निर्माण में आपको भविष्य का भारत नज़र आएगा, यहां की ऊर्जा आपको हमारे विराट राष्ट्र के लिए एक नया विज़न देगी, एक नया विश्वास देगी। साथियों बात अगर हम अन्य मार्गो व कर्तव्य पथ के इतिहास की करें तो, साल 2015 में रेसकोर्स रोड का नाम बदलकर लोक कल्याण मार्ग किया गया,जहां पीएमआवास है। साल 2015 में औरंगजेब रोड का नाम बदलकर एपीजे अब्दुल कलाम रोड किया गया। साल 2017 में डलहौजी रोड का नाम दाराशिकोह रोड कर दिया गया। इसके अलावा 2018 में तीन मूर्ति चौक नाम बदलकर तीन मूर्ती हाईफा चौक कर दिया था। आजादी के बाद प्रिंस एडवर्ड रोड को विजय चौक, क्वीन विक्टोरिया रोड को डॉ. राजेंद्र प्रसाद रोड, ‘किंग जॉर्ज एवेन्यू’ रोड का नाम बदलकर राजाजी मार्ग किया गया था। इन महत्वपूर्ण सड़कों के नाम अंग्रेजी ब्रिटिश सम्राटों के नाम पर थे। किंग्सवे की कहानी 1911 से शुरु होती है। तब दिल्ली दरबार में शामिल होने के लिए किंग जॉर्ज पंचम भारत आए थे। ये वही समय था जब कोलकाता की जगह दिल्ली को भारत (ब्रिटिश शासन) की राजधानी बनाने की घोषणा हुई थी। इसलिए अंग्रेजों ने किंग जॉर्ज पंचम के सम्मान में इस जगह का नाम किंग्सवे रखा था। फिर नाम बदलकर राजपथ हो गया। किंग्सवे के रूप में यह सड़क ब्रिटिश हुकूमत की शाही पहचान का प्रतीक थी। स्वतंत्रता के बाद 1955 में इसका नाम बदलकर राजपथ किया गया। जो एक तरह से किंग्सवे का ही हिन्दी अनुवाद था। । कर्तव्य पथ का दायरा रायसीना हिल्स पर बने राष्ट्रपति भवन से शुरू होता है और विजय चौक, इंडिया गेट, फिर नई दिल्ली की सड़कों से होते हुए लाल किले पर खत्म। इन्हीं सड़कों पर हर 26 जनवरी पर गणतंत्र दिवस की परेड होती है। करीब साढ़े तीन किलोमीटर की दूरी के इस रास्ते के इतिहास में जाएं तो पहले इसे किंग्सवे और फिर राजपथ के नाम से जाना जाने लगा था।एक आकांक्षी भारत,सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ही कल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर को गति देते हुए ही तेज प्रगति कर सकता है। मुझे खुशी है कि आज कर्तव्यपथ के रूप में देश को कल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर का एक और बेहतरीन उदाहरण मिल रहा है। इस निर्माण में आपको भविष्य का भारत नज़र आएगा। यहाँ की ऊर्जा आपको हमारे विराट राष्ट्र के लिए एक नया विज़न देगी, एक नया विश्वास देगी। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि,कर्तव्य पथ नए भारत की भव्य तस्वीर राजपथ टू कर्तव्यपथ।अमृत काल में गुलामी के एक और पहचान से मुक्ति मिली कर्तव्य पथ के रूप में नए इतिहास का सृजन हुआ,मातृभूमि की सेवा करने की हमारी प्रतिबद्धता में कर्तव्यपथ के रूप में नया अध्याय जुड़ा।
स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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