नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) रूस ने उन सभी दावों को खारिज कर दिया है जिनमें कहा गया था कि वह चीन द्वारा पाकिस्तान को सप्लाई किए जा रहे JF-17 थंडर लड़ाकू विमानों के लिए इंजन उपलब्ध कराने की योजना बना रहा है। मास्को ने इन खबरों को “निराधार, भ्रामक और शरारतपूर्ण” करार दिया है।
रूसी विदेश मंत्रालय की ओर से आए बयान में कहा गया कि ऐसी किसी डील या प्रस्ताव की पुष्टि नहीं हुई है, जैसा कि हाल में एक भारतीय चैनल WION की रिपोर्ट में बताया गया था।
रूस ने स्पष्ट किया कि वह JF-17 ब्लॉक III के लिए RD-93MA इंजन की आपूर्ति नहीं कर रहा और यह दावा पूरी तरह कल्पना पर आधारित है।
🔹 भारत में उठे राजनीतिक स्वर
इन रिपोर्टों ने भारत में राजनीतिक हलचल मचा दी थी।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सरकार से सवाल उठाते हुए कहा, “भारत का कभी सबसे विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार अब पाकिस्तान को सैन्य इंजन क्यों दे रहा है?”
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इन दावों को “फर्जी प्रचार” और “सूचना युद्ध” का हिस्सा बताया। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर “असत्यापित रिपोर्टों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करने” और “राष्ट्रीय हितों से ऊपर राजनीति करने” का आरोप लगाया।
भाजपा प्रवक्ताओं ने याद दिलाया कि रूस के साथ भारत के रक्षा संबंध मजबूत और दीर्घकालिक हैं — जिनके अंतर्गत S-400 वायु रक्षा प्रणाली, परमाणु पनडुब्बी सहयोग, और रक्षा प्रौद्योगिकी साझेदारी जैसी पहलें पहले से जारी हैं।
🔹 दिसंबर में पुतिन की भारत यात्रा तय
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर की शुरुआत में भारत दौरे पर आएंगे। हाल में वल्दाई क्लब के अधिवेशन में उन्होंने कहा,
“मैं अपने मित्र और विश्वसनीय सहयोगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात को लेकर उत्सुक हूं।”
उन्होंने अमेरिका द्वारा रूस और भारत पर लगाए जा रहे दबावों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “भारतीय लोग अपने राष्ट्रीय हितों के विरुद्ध कोई निर्णय स्वीकार नहीं करेंगे।”
🔹 रूसी विशेषज्ञों ने खोला पुराना पन्ना
रूस के रक्षा विशेषज्ञ टोपीचकानोव ने कहा कि भारत की आलोचना “अनुचित” है क्योंकि यह मुद्दा मास्को-नई दिल्ली के दशकों पुराने रक्षा संबंधों की गहराई में देखा जाना चाहिए।
उन्होंने खुलासा किया कि चीन ने पहले FC-17 (JF-17) जेट के लिए अस्थायी रूप से RD-93 इंजन की मांग की थी, और अतीत में भारत की सरकारों — वाजपेयी व मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान — इस विषय पर परामर्श हुआ था।
एक अन्य रूसी विशेषज्ञ ने याद दिलाया कि उस समय मॉस्को ने नई दिल्ली को स्पष्ट आश्वासन दिया था कि यह सौदा सिर्फ व्यावसायिक प्रकृति का था और इसमें प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (ToT) शामिल नहीं था।
भारत को इसके बदले RD-33 इंजन का पूर्ण तकनीकी हस्तांतरण अधिकार मिला, जो आज MiG-29 विमानों में प्रयुक्त होता है।
🔹 इंजन का तकनीकी अंतर
क्लिमोव संयंत्र द्वारा निर्मित RD-93 इंजन, भारत के RD-33 मॉडल का संशोधित संस्करण है।
RD-93 अधिक थ्रस्ट (बल) प्रदान करता है,
लेकिन इसकी सेवा अवधि मात्र 2,200 घंटे है,
जबकि RD-33 इंजन लगभग 4,000 घंटे तक उड़ान भर सकता है।
रूस वर्ष 2000 से चीन के माध्यम से पाकिस्तान को इन इंजनों की त्रिपक्षीय आपूर्ति करता रहा है, परंतु हाल में RD-93MA नामक नए मॉडल की मांग पर रूस ने अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं दी है।
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