🕉️ कालभैरव जयंती 2025: भैरवनाथ की उपासना से मिटते हैं समस्त संकट, जानिए कथा, पूजा विधि और महत्व
धर्म/भक्ति/आस्था)
🌕 कालभैरव जयंती का दिव्य पर्व
कालभैरव जयंती हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव के उग्रतम रूप भैरवनाथ का जन्म हुआ था। भैरव का अर्थ होता है — “भय का नाश करने वाला।” ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति भक्ति भाव से कालभैरव की पूजा करता है, उसके जीवन से भय, पाप, रोग और शत्रु बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।
2025 में यह पावन तिथि 12 नवंबर, बुधवार को पड़ रही है।
🔱 कालभैरव कौन हैं?
शिवपुराण के अनुसार, एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश में श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ। उस समय ब्रह्मा जी ने शिव का अपमान किया, तब भगवान शिव के तीसरे नेत्र से एक दिव्य तेज प्रकट हुआ, जिसने भैरव रूप धारण कर ब्रह्मा का एक सिर काट दिया।
इस घटना के बाद भगवान शिव ने स्वयं को भैरव रूप में स्थापित किया — जो “काल” अर्थात् समय के भी स्वामी हैं। इसलिए उन्हें कालभैरव कहा जाता है।
🕯️ कालभैरव जयंती का धार्मिक महत्व
भैरव को काशी के कोतवाल कहा गया है। कहा जाता है कि वाराणसी नगरी की रक्षा स्वयं कालभैरव करते हैं। उनकी आराधना से व्यक्ति को न केवल आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है बल्कि जीवन में स्थिरता, साहस और सफलता का आशीर्वाद मिलता है।
इस दिन पूजा करने से —
पितृ दोष, ग्रहदोष और कालसर्प दोष का निवारण होता है।
अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।
व्यापार, धन और यश में वृद्धि होती है।
साधक के जीवन में आत्मबल और निर्णायक शक्ति आती है।
🌸 कालभैरव जयंती की पूजा विधि (Puja Vidhi)
- स्नान और संकल्प – प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान शिव और कालभैरव की पूजा का संकल्प लें।
- भैरव पूजन – भैरव की प्रतिमा या चित्र पर जल, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप और काले तिल अर्पित करें।
- मंत्र जाप – “ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- प्रसाद अर्पण – कालभैरव को सरसों का तेल, काली उड़द, काले तिल, और कुत्ते को भोजन अर्पित करना शुभ माना जाता है।
- दीपदान और कथा श्रवण – रात्रि के समय दीपक जलाकर भैरव स्तुति और कालभैरवाष्टक का पाठ करें।
📖 कालभैरव जयंती की पौराणिक कथा
एक बार ब्रह्मा जी के अभिमान को देखकर भगवान विष्णु ने उन्हें समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं माने। तब शिव ने अपनी शक्ति से भैरव को उत्पन्न किया। भैरव ने क्रोध में आकर ब्रह्मा का अहंकार तोड़ने के लिए उनका एक सिर काट दिया।
इस पाप से मुक्त होने के लिए भैरव कई लोकों में भटकते रहे। अंततः काशी नगरी में प्रवेश करते ही उनके सभी पाप नष्ट हो गए। तब से कालभैरव काशी के रक्षक बन गए।
इस कथा का संदेश है — अहंकार का अंत निश्चित है, और भक्ति ही सच्चा मार्ग है।
🙏 भैरव भक्तों के लिए विशेष उपाय
बुधवार या रविवार के दिन सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
मंदिर में काले कुत्ते को रोटी या दूध खिलाना अत्यंत शुभ माना जाता है।
कालभैरव के नाम का स्मरण करते हुए अपने कार्यों की शुरुआत करें।
“भैरव चालीसा” और “भैरवाष्टक” का पाठ अवश्य करें।
🌙 कालभैरव जयंती पर क्या करें और क्या न करें
करें:उपवास रखें और संयमपूर्वक भक्ति करें।
गरीबों, पशुओं और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
शिव मंदिर या भैरव मंदिर में दर्शन करें।
न करें:
किसी का अपमान या झूठ न बोलें।
मद्यपान या तामसिक भोजन से दूर रहें।
नकारात्मक विचार या विवाद से बचें।
🪔 वाराणसी का भव्य कालभैरव उत्सव
काशी में कालभैरव जयंती के अवसर पर हजारों भक्त भैरव मंदिर में दर्शन के लिए उमड़ते हैं। इस दिन मंदिरों में तेल-दीप, घंटा-घड़ियाल और भैरव स्तुति से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठता है।
भक्त मानते हैं कि इस दिन काशी के कालभैरव मंदिर में पूजा करने से सभी बाधाएँ दूर होती हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
🌼 भावनात्मक संदेश
कालभैरव जयंती हमें सिखाती है कि जीवन का सबसे बड़ा भय — “काल” — भी भक्ति और सत्य से जीता जा सकता है। जब मनुष्य अपने भीतर के अंधकार को मिटाकर प्रकाश की ओर बढ़ता है, तभी उसका हर भय समाप्त होता है।
इस दिन यदि मन, कर्म और वचन से भक्ति की जाए तो कालभैरव स्वयं भक्त की रक्षा करते हैं।
🕉️ कालभैरव जयंती का पर्व केवल पूजा का दिन नहीं, बल्कि साहस, न्याय और आत्मबल का उत्सव है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि जब सत्य के मार्ग पर भक्ति और निष्ठा से चला जाए तो “काल” भी हमारे चरणों में होता है।
