November 22, 2024

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विश्व टीबी पूर्ण उन्मूलन लक्ष्य 2030 बनाम भारत 2025

वन वर्ल्ड टीबी शिखर सम्मेलन का आगाज़

टीबी उन्मूलन अभियान से हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर दुनिया सौंपने की स्थिति में होंगे – एडवोकेट किशन भावनानी

गोंदिया – मानव जीवन को सृष्टि में बचाए रखने, आयु सीमा बढ़ाने के लिए वैश्विक स्तरपर कई महामारियों, बीमारियों, संक्रमण बीमारियों से सभी देश एक साथ मिलकर गंभीरता से रेखांकित कर जांबाज़ी, ज़ज्बे, संकल्प से जनजागरण आंदोलन चलाकर वैश्विक स्तरपर मनीषियों को जागृत करना होगा तथा अपने अपने देशों की सरकारों को जांच, इलाज, टीकाकरण में गंभीरता से सहयोग देना होगा तभी हम ईश्वर अल्लाह द्वारा बनाई इस अनमोल सृष्टि में मानव जीवन की रक्षा और आयु सीमा बढ़ाने के प्रयास में सफ़ल होंगे। चूंकि विश्व टीबी दिवस 24 मार्च 2023 को वन वर्ड टीबी शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ इसलिए आज हम टीबी उन्मूलन अभियान पर चर्चा करेंगे। 

साथियों बात अगर हम 24 मार्च 2023 को माननीय पीएम द्वारा वन वर्ल्ड टीबी शिखर सम्मेलन में संबोधन की करें तो उन्होंने टीबी मुक्त भारत अभियान में तकनीकी एकीकरण की जानकारी दी कि नि-क्षय पोर्टल और डेटा साइंस का उपयोग इस संबंध में काफी आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय-आईसीएमआर ने उपराष्‍ट्रीय रोग निगरानी के लिए एक नया तरीका विकसित किया है जिसने भारत को डब्ल्यूएचओ के अलावा इस तरह का मॉडल रखने वाला एकमात्र देश बना दिया है। उन्होंने बताया कि लोगों की भागीदारी से करीब 10 लाख टीबी मरीजों को नागरिकों ने गोद लिया है और यहां तक ​​कि 10-12 साल के बच्चे भी आगे आए हैं। टीबी के मरीजों को आर्थिक मददकार्यक्रम के तहत यह एक हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने इस आंदोलन को प्रेरणादायक बताया और इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि इसमें प्रवासी भारतीय भी भाग ले रहे हैं। टीबी रोगियों की घटती संख्या और कर्नाटक तथा जम्मू और कश्मीर को आज प्राप्‍त  पुरस्कार पर गौर करते हुए, प्रधानमंत्री ने 2030 के वैश्विक लक्ष्य के मुकाबले 2025 तक टीबी को खत्म करने के लिए भारत के एक और प्रमुख संकल्प का उल्लेख किया। महामारी के दौरान क्षमता और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में वृद्धि का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने बीमारी के खिलाफ लड़ाई में ट्रेस, टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट और टेक्नोलॉजी के अधिकतम उपयोग की चर्चा की। भारत के इस स्थानीय दृष्टिकोण में एक विशाल वैश्विक क्षमता है, उन्होंने सामूहिक रूप से उस क्षमता का उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि टीबी की 80 प्रतिशत दवाएं भारत में बनाई जाती हैं। मैं चाहूंगा कि अधिक से अधिक देशों को ऐसे तमाम अभियानों, भारत के नवोन्‍मेष और आधुनिक तकनीक का लाभ मिले। इस शिखर सम्‍मेलन में शामिल सभी देश इसके लिए एक ऐसा तंत्र विकसित कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, मुझे विश्वास है, हमारा यह संकल्प जरूर पूरा होगा- जी हां, हम टीबी खत्म कर सकते हैं।पीएम ने रेखांकित किया कि भारत देश के अनुभव, विशेषज्ञता औरइच्छाशक्ति का उपयोग करके टीबी उन्मूलन के अभियान में लगा हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत हर जरूरतमंद देश की मदद के लिए लगातार तैयार है। पीएम ने कहा, सबका प्रयास से ही टीबी के खिलाफ हमारा अभियान सफल होगा। मुझे विश्वास है कि आज के हमारे प्रयास हमारे सुरक्षित भविष्य की नींव को मजबूत करेंगे, और हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर दुनिया सौंपने की स्थिति में होंगे। 

साथियों बात अगर हम 24 मार्च 2023 को मनाए गए विश्व टीबी रोग दिवस की करें तो यह दिन, विश्व टीबी दिवस के तौर पर जाना जाता है। इस दिन प्रतिवर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) के तत्वाधान में पूरे विश्व में टीबी से संबंधित कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं, जिसका उद्देश्य इस वैश्विक बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करना और इसे खत्म करना है। 1882 में 24 मार्च के दिन जर्मन फिजिशियन एवं माइक्रोबायोलॉजिस्ट रॉबर्ट कोच ने इस जानलेवा बीमारी के कारक बैक्टीरिया के पहचान करने की पुष्टि की थी, जिसके फलस्वरूप टीबी के निदान और इलाज में बड़ी मदद मिली। साधारण भाषा में टीबी को हम क्षयरोग अथवा तपेदिक के नाम से जानते हैं। 

साथियों बात अगर हम टीबी संक्रमण रोग के उन्मूलन लक्ष्य की करें तो, जहां एक ओर दुनिया ने वर्ष 2030 को इस जानलेवा बीमारी टीबी के पूर्ण उन्मूलन के लिए लक्ष्य निर्धारित किया है, वहीं भारत का संकल्प वर्ष 2025 तक इस उद्देश्य को हासिल करने का है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्वभर में हर दिन औसतन 4 हज़ार लोगों की मौत सिर्फ इस जानलेवा बीमारी के चलते हो जाती है। भारत इस बीमारी से सर्वाधिक प्रभावित एशियाई देश रहा हैं। 

साथियों बात अगर हम  संक्रमण रोग टीबी को गंभीरता सेरेखांकित करने की करें तो, टीबी अर्थात ट्यूबरक्लोसिस एक संक्रामक रोग होता है, जो बैक्टीरिया की वजह से होता है। यह बैक्टीरिया शरीर के सभी अंगों में प्रवेश कर जाता है। जब हम सांस लेते हैं, खांसते या छींकते है तो उसके बैक्टिरिया काफी समय तक हवा में मौजूदग रहते हैं। इन्हीं बैक्टिरिया के कारण टीबी का रोग होता है। यह बैक्टिरिया हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देते हैं। जिसके कारण टीबी का मरीज कमजोर होता जाता है। टीबी का बैक्टिरिया ज्यादातर फेफड़ों में ही पाया जाता है। मगर इसके अलावा आंतों, मस्तिष्क, हड्डियों, जोड़ों, गुर्दे, त्वचा तथा हृदय भी टीबी से ग्रसित हो सकते हैं। क्षयरोग को कई नामों से जाना जाता है जैसे टीबी तपेदिक, ट्यूबरकुलासिस, राजयक्ष्मा, दण्डाणु इत्यादि नामों से जाना जाता है। टी.बी से ग्रसित व्यक्ति बहुत कमजोर हो जाता है और इसके साथ ही उसे कई गंभीर बीमारियां होने का डर भी रहता है। टी.बी. एड्स, मधुमेह और कमजोर लोगों को अधिक होता है। क्षयरोग सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं बल्कि शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करते हैं। जिससे बचाव करना आवश्यक है।साथियों बात अगर हम टीबी संक्रमण रोग के लक्षणों को रेखांकित करने की करें तो, लगातार 3 हफ्तों से खांसी का आना, खांसी करने पर बलगम में थूक का आना, छाती में दर्द और सांस का फूलना, अचानक से वजन का कम होना और ज्यादा थकान महसूस होना, शाम को बुखार का आना और ठंड लगना, रात में पसीना आना, भूख में कमी आना।बहुत ज्यादा फेफड़ों का इंफेक्शन होना। सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं।

साथियों बात अगर हम टीबी संक्रमण रोग से अपने कोसुरक्षित रखने की करें तो,टीबी के मरीज से कम-से-कम एक मीटर की दूरी बनाकर रहें। टीबी के मरीज को मास्क पहनाने पर जोर दें। भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। कम रोशनी वाली और गंदी जगहों पर नहीं जाएं। टीबी के मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंदकर डस्टबिन में डाल दें।टीबी के मरीज का कमरा अलग हो। टीबी के मरीज के द्वारा प्रयोग की जाने वाली सारी चीजें अलग होनी चाहिए। बच्चों और बुजुर्गों को टीबी के मरीज से दूर रखना चाहिए क्योंकि इनमें बैक्टिरिया फैलने की संभावना अधिक होती है। दो हफ्तों से अधिक समय तक खांसी रहती है, तो लापरवाही न बरतें बल्कि समय रहते किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क करे। अगर आपको पता है कि किसी व्यक्ति को टीबी है तो जितना हो सके उससे दूरी बना कर रखें। क्योंकि ये एक तरह का संक्रमित रोग है। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरणका अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि विश्व टीबी पूर्ण उन्मूलन लक्ष्य 2030 बनाम भारत 2025।वन वर्ल्ड टीबी शिखर सम्मेलन का आगाज़। टीबी उन्मूलन अभियान से हमअपनी आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर दुनिया सौंपने की स्थिति में होंगे।

संकलनकर्ता लेखक -कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र