
शब्द भी एक स्वादिष्ट भोजन होते हैं,
अगर स्वयं को ही वह अच्छे ना लगे,
तो दूसरों को भी उन्हें मत परोसिए,
सदा सुखद शब्द ही उपयोग करिये।
सपने जादू के बल पर साकार नहीं होते,
दूर दृष्टि, दृढ़ निश्चय, कठिन परिश्रम और
पसीना बहाकर अनुशासित रहना पड़ता है,
जादुई जज़्बात क़ाबू में रखना पड़ता है।
यही सोच और अनुशासन सबसे
अच्छे उपहार स्वयं को देना पड़ता है,
खुद की सोच, समझ व भावों को भी
औरों से ज़्यादा खुद समझना पड़ता है।
लहरें समुद्र की उत्साहित होती हैं,
क्योंकि वे उठने से कभी नहीं डरतीं,
सपने सच करने को डरना छोड़ हमें,
लहरों सा उत्साहित होना पड़ता है।
करत करत अभ्यास के,
जडमति होत सुजान।
रसरी आवत जात के,
सिल पर पड़त निशान ॥
अभ्यास निरंतर करने से जैसे
सम्पूर्ण प्रवीणता आ जाती है,
शारीरिक, मानसिक क्षमतायें
अभ्याससाध्य प्रवीण हो जाती हैं।
अकुशल कारीगर कुशल बन जाते हैं,
अशिक्षित शिक्षित शिक्षक बन जाते हैं,
मंत्रहीन मंत्राभ्यास से योगी बन जाते हैं,
कालिदास महामूर्ख महाकवि हो जाते हैं।
पूजा आरती हवन गायत्री मंत्र जाप,
महा मृत्युंजय, मृत संजीवनी कवच,
आदित्य भक्त के जीवन पर अभ्यास
से सदा सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
- डा. कर्नल आदि शंकर मिश्र, ‘आदित्य’ ‘विद्यावाचस्पति’
