स्वयं से मोह इतना भी न करें,
कि मात्र अपने को देख पायें,
औरों से घृणा भी इतनी न करें,
कि अच्छाइयां भी देख न पायें।
आदित्य जिम्मेदारियाँ भी सबकी
अक्सर खूब परीक्षा लेती रहती हैं,
निभाने वाले को परेशान करती हैं,
दूसरों के तो पास नहीं फटकती हैं।
स्त्री और पुरुष गृहस्थी की एक
गाड़ी के ही दो पहिये जैसे होते हैं,
दोनों के ऊपर गृहस्थी चलाने के
उत्तरदायित्व बराबर ही होते हैं।
आज के युग में स्त्री और पुरुष में
कोई किसी से कम कहाँ होता है,
घर बाहर का काम आवश्यकता
अनुसार दोनों को करना पड़ता है।
एक दूसरे को दिल व दिमाग़ से
पूर्ण संतुलित होकर समझने की,
हर दिन, हर पल, हर स्थिति में
आदित्य आवश्यकता है होती।
कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
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