पहलवानी के अखाड़ा से शुरू सफर राजनीति अखाड़ा तक दोनों में प्रतिद्वंदियों को चित करने में माहिर रहे हैं मुलायम सिंह यादव। उन्होंने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के साथ राजनीतिक सफर शुरू किया था। जब उन्हें अपनी पार्टी की जरूरत महसूस हुई तो समाजवादी पार्टी का गठन किया। तीन बार बने सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और देश के रक्षा मंत्री भी रहे।
देश में वो दौर रहा है जब समाजवाद की लहर थी। उस दशक में राम मनोहर लोहिया समाजवादी आंदोलन के सबसे बड़े नेता थे। उस दौर में देशभर की तरह उत्तर प्रदेश के इटावा में भी समाजवादियों की रैलियां होती थीं और इन रैलियों में नेताजी जरूर शामिल होते थे। समाजवादी विचारधारा उन्हें रमने लगती थी। अब वे अखाड़े के साथ-साथ रैलियों में जाते थे। समय बीतता गया और नेताजी समाजवाद को अपना विचारधारा बना लिया।
प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के बाद डॉ. लोहिया ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी बना ली थी। मुलायम सिंह यादव उस पार्टी के सक्रिय सदस्य रहे। वे क्षेत्र के गरीबों, किसानों की बात करते और उनकी अवाज उठाते। अब सियासत, पढ़ाई और कुश्ती, वे तीनों में बराबर समय दे रहे थे। जसवंत नगर में एक कुश्ती के दंगल में युवा मुलायम पर विधायक नत्थू सिंह की नजर पड़ी। उन्होंने देखा कि मुलायम ने एक पहलवान को पलभर में चित कर दिया। नत्थू उनके मुरीद हो गये और अपना राजनीतिक शागिर्द बना लिया।
समय अपनी रफ्तार से चलता रहा। मुलायम सिंह इटावा से बीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद बैचलर ऑफ टीचिंग की पढ़ाई की पूरी करने के लिए शिकोहाबाद चले गये। पढ़ाई पूरी होते ही एक इंटर कॉलेज में नौकरी लग गयी। मुलायम अब सियासत, मास्टरी और पहलवानी, तीनों कर रहे थे। वर्ष 1967 का विधानसभा चुनाव हो रहा था। मुलायम के राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह तब जसवंतनगर के विधायक थे। उन्होंने अपनी सीट से मुलायम को मैदान में उतारने का फैसला लिया। लोहिया से उन्होंने पैरवी की और उनके नाम पर मुहर लग गयी। मुलायम की लड़ाई कांग्रेस के दिग्गज नेता हेमवंती नंदन बहुगुणा के शिष्य एडवोकेट लाखन सिंह से था, लेकिन जब नतीजे आये तो सब चौंक गये। सियासत के अखाड़े की पहली लड़ाई मुलायम सिंह जीत गये और सिर्फ 28 साल की उम्र में प्रदेश के सबसे के कम उम्र के विधायक बने औरवह नेताजी हो गए।
धीरे-धीरे मुलायम सिंह का राजनीतिक कद बढ़ता गया, तब उनकी गिनती राष्ट्रीय नेताओं में होने लगी थी। उनके समर्थक नारा लगाते थे कि ‘जिनका जलवा कायम है, उनका नाम मुलायम है।’ उन्होंने 1992 में समाजवादी पार्टी का गठन किया और पार्टी के पहले अध्यक्ष रहे। वह तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री भी रहे। मुलायम सिंह 8 बार विधायक और 7 बार लोकसभा सांसद रहे। वह अपनी पार्टी में नेताजी के नाम से लोकप्रियता पाई। मुलायम सिंह यादव का 10 अक्टूबर 2022 को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद 82 साल की उम्र में अंतिम सांस ली।
मुलायम सिंह यादव देश में समाजवादी राजनीति के कर्मठ जुझारू योद्धा रहे हैं।उन्होंने राम मनोहर लोहिया और चौधरी चरण सिंह से सीखी और उसे राजनीतिक जीवन में अमल में लाया। पूर्व मुख्यमंत्री, दिग्गज नेता ‘धरती पुत्र’ मुलायम सिंह जी जमीन से जुड़े थे।देश,समाज व राजनीति की अपूरणीय क्षति है…..अलविदा नेताजी।
– सूर्यदीप कुशवाहा
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