November 21, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

धन

संतान कहे जब माँ हैं भगवान मेरी,
व पिता मेरे इस जीवन के दाता हैं,
माँ-बाप कहें बच्चे को, हृदय का
टुकड़ा है, वो ही धन कहलाता है।

शादी के वर्षों बाद जीवनसाथी जब
कहे प्यार से मैं तुम्हें प्यार करता हूँ,
सास कहे बहू को बेटी, बहू कहे मेरी
सासु माँ, तो वो ही धन कहलाता है।

मान सम्मान बड़ों को, छोटों को प्यार
दुलार मिले, घर में धन भर जाता है,
अतिथि जाते जाते कहे घर आपका
मंदिर है तो वो भी धन कहलाता है।

दुआयें हैं यह मेरी आप सभी को,
ख़ुशियों के दीपक जलें आपके घर,
ख़ुशियों के वैभव से भूषित हो आता
संतोष मिले, वो भी धन कहलाता है।

आज दीवाली ख़ुशियाँ लायी है,
दीप से दीप जलें हर एक हृदय में,
सुख शांति संतोष परम धन मिलें,
आप को, ये भी धन कहलाता है।

अथ शुभम करोति कल्याणम,
आरोग्यम धन धान्यम सम्पदाम,
शत्रु बुद्धि विनाशाय: आदित्य:
वयम दीपं ज्योतिम नमोंस्तुते।

  • कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’