महराजगंज (राष्ट्र की परम्परा)। परिषदीय विद्यालयों की अव्यवस्थित कार्यप्रणाली एक बार फिर कठघरे में खड़ी हो गई है। विकास खंड मिठौरा के प्राथमिक विद्यालय सिंदुरिया प्रथम में नाबालिग बच्चों से कक्षाओं की सफाई कराए जाने का मामला सामने आया है। इस गंभीर घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो चुका है, जिसके बाद क्षेत्र में तीखा आक्रोश फैल गया है।
वायरल वीडियो में स्पष्ट देखा जा सकता है कि यूनिफॉर्म पहने छोटे बच्चे फर्श की सफाई करते दिखाई दे रहे हैं, जबकि शिक्षक आराम से कुर्सियों पर बैठे नजर आ रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि यह कोई एक-दो दिनों की घटना नहीं है, बल्कि विद्यालय में लंबे समय से बच्चों से अनैतिक कार्य कराए जा रहे हैं, जिससे शिक्षा के अधिकार की खुली अवहेलना हो रही है।
ये भी पढ़ें –राजनीतिक भेदभाव की चढ़ी भेंट: लोकतंत्र की आत्मा पर गहरा आघात
ग्रामीणों और अभिभावकों ने खंड शिक्षा अधिकारी आनंद कुमार मिश्र पर भी लापरवाही के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि वर्षों से शिकायत किए जाने के बावजूद सुधार नहीं हुआ। कई मामलों में कार्रवाई को टाल दिया जाता है, जिससे विद्यालयों की स्थिति बिगड़ती जा रही है। कुछ अभिभावकों ने आरोप लगाया कि “कमीशनखोरी” जैसी प्रथाओं के कारण गंभीर मामलों को भी नजरअंदाज कर दिया जाता है।
वीडियो सामने आने के बाद अभिभावकों का गुस्सा चरम पर है। उनका कहना है कि बच्चों को शिक्षा के लिए स्कूल भेजा जाता है, न कि उन पर सफाई जैसी जिम्मेदारियाँ थोपने के लिए। यह न केवल अमानवीय व्यवहार है, बल्कि बाल अधिकारों और शिक्षा कानून का गंभीर उल्लंघन भी है। अभिभावकों ने दोषी शिक्षकों और संबंधित अधिकारियों पर तुरंत कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो वे मजबूरन अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय से हटाकर निजी स्कूलों में भेजने पर विचार करेंगे। यह मामला न केवल शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जमीनी स्तर पर निरीक्षण व्यवस्था लगभग निष्क्रिय हो गई है।
