
दरभंगा (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) जिले से सामने आया विभा कुमारी हत्याकांड पूरे समाज को झकझोरने वाला है। 19 वर्षीय नवविवाहिता विभा की बेरहमी से हत्या उसके ही पति प्रमोद पासवान ने कर दी। आरोप है कि 26 अगस्त की रात प्रमोद ने सोई हुई पत्नी के सिर पर लोहे की खंती से वार कर दिया। उस वक्त विभा की गोद में उसका 17 दिन का मासूम बच्चा भी था। गंभीर हालत में इलाज के दौरान विभा की मौत हो गई, जबकि आरोपी खंती लेकर मौके से फरार हो गया। यह घटना सदर थाना क्षेत्र के रानीपुर बेला गांव की है।
हत्या और घरेलू हिंसा का भयावह चेहरा
भारत में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा और हत्या की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रहीं। दरभंगा का यह मामला कोई अकेला उदाहरण नहीं है। आए दिन ऐसी खबरें देशभर से आती रहती हैं, जहां बेटियां, बहुएं और पत्नियां घर की चारदीवारी में ही अपनी जान गंवा रही हैं। सवाल यह है कि आखिर कब तक महिलाएं अपने ही घर में असुरक्षित रहेंगी?
समाज के लिए सबक
इस दर्दनाक घटना से समाज को सबक लेना जरूरी है।परिवार और समाज को जागरूक बनना होगा: घरेलू कलह और हिंसा को “घर का मामला” कहकर चुप नहीं बैठा जा सकता।
कानून का सख्ती से पालन जरूरी: महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने कानूनों का कड़ाई से पालन हो और दोषियों को त्वरित सजा मिले।मानसिक स्वास्थ्य और परामर्श की जरूरत: घरेलू विवादों के समाधान के लिए काउंसलिंग और सामाजिक पहल बढ़ाई जानी चाहिए।
मासूमों पर असर
सबसे दर्दनाक पहलू यह है कि विभा की गोद में उसका 17 दिन का मासूम बच्चा था। अब यह बच्चा अपनी मां की ममता से वंचित हो गया। यह केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं बल्कि समाज की विफलता की कहानी भी है।
विभा कुमारी की हत्या हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम सचमुच महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं? अब वक्त है कि समाज, सरकार और कानून मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं। हर महिला को यह भरोसा मिलना चाहिए कि उसका घर उसके लिए सबसे सुरक्षित जगह है, न कि जानलेवा कैदखाना।