
छात्रों ने नगाड़ों की थाप पर दिखाया पर्यावरण के प्रति उत्साह
मऊ (राष्ट्र की परम्परा) भारत सरकार द्वारा संचालित वन महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत चलाए जा रहे ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान को जनपद मऊ में अभूतपूर्व सफलता मिली है। इस अभियान के तहत उच्च शिक्षा विभाग, मऊ द्वारा भव्य वृक्षारोपण महाअभियान का आयोजन किया गया, जिसका नेतृत्व मर्यादा पुरुषोत्तम पी.जी. कॉलेज, रतनपुरा ने किया।
इस महाअभियान में जिले के कई महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने ढोल-नगाड़ों की थाप पर कदमताल करते हुए पूरे जोश और उत्साह के साथ भागीदारी निभाई। भुड़सरी नर्सरी (वन विभाग) पहुंचकर सभी प्रतिभागियों ने वृक्षारोपण किया और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया।
शिक्षण संस्थानों की प्रभावशाली भागीदारी
इस आयोजन में रामभजन डिग्री कॉलेज, चकहुसैन, थलईपुर; बाबा वीर बहादुर रामनाथ महाविद्यालय, पिलखी वरुणा; स्वतंत्रता संग्राम सेनानी महेन्द्र महाविद्यालय, हलधरपुर; रामाशंकर सिंह महाविद्यालय, मखाना पिंडोहरी; नागेश्वर पांडेय महाविद्यालय, पिपरसाथ; इंदु महिला महाविद्यालय, भुड़सुरी, रतनपुरा; दुलारी देवी पनमती महिला महाविद्यालय, जगदीशपुर गहनी; तथा राम सुंदर पांडेय महाविद्यालय, गाज़ीपुर-मऊ के छात्र-छात्राएं अपने प्राध्यापकों के नेतृत्व में शामिल हुए।
वन विभाग द्वारा आत्मीय स्वागत
नर्सरी पहुंचने पर वन विभाग के अधिकारियों ने विद्यार्थियों का स्वागत पौधों के साथ किया। इस अवसर पर एसडीओ रवि कटियार, डीपीओ डॉ. हेमन्त यादव और वन दरोगा मिथलेश कुमार उपस्थित रहे।
प्रेरणादायक संदेश
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एसडीओ रवि कटियार ने कहा, “युवाओं में पर्यावरण के प्रति चेतना जागृत करना समय की मांग है। वृक्ष केवल हरियाली नहीं, बल्कि जीवन की साँसें हैं।”
वहीं डीपीओ डॉ. हेमन्त यादव ने अपने प्रेरणात्मक संबोधन में कहा, “वृक्षारोपण केवल एक औपचारिकता नहीं है, यह प्रकृति से जुड़ाव का जीवंत माध्यम है। पौधे लगाना ही नहीं, उनका संरक्षण भी हमारा दायित्व है।”
शिक्षकों की सक्रिय भूमिका
इस अभियान की सफलता में डॉ. विशाल जायसवाल, डॉ. अनिल वर्मा, डॉ. करमजीत सिंह तथा डॉ. अब्दुल कादिर का विशेष योगदान रहा। उन्होंने न केवल छात्रों का मार्गदर्शन किया, बल्कि स्वयं भी वृक्षारोपण में सक्रिय भागीदारी निभाई।
पर्यावरण संरक्षण की ओर एक प्रेरक कदम
यह वृक्षारोपण महाअभियान न केवल पर्यावरण के प्रति युवाओं में जागरूकता बढ़ाने का माध्यम बना, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति से जुड़ने और उसकी रक्षा करने की प्रेरणा भी दी। ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान अब सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन का रूप लेता दिख रहा है।
More Stories
संस्कृत पढ़ने गया विनय बना खूनी!
मोहर्रम का मातमी जुलूस श्रद्धा और अकीदत के साथ संपन्न, दुलदुल घोड़ा बना आकर्षण का केंद्र
धूमधाम से मनाया जा रहा है पंढरपुर में आषाढी एकादशी महोत्सव