
मईल/देवरिया ( राष्ट्र की परम्परा ) देवरहा बाबा गुफा आश्रम, लक्ष्मीनारायण व राधा-कृष्ण मंदिर और उसके अधीन सम्पतियों पर अधिकार के वर्चस्व को लेकर पांच साल बाद मामला एक बार फिर बोतल में बंद जिन्न की तरह बाहर आ गया है, गुफा आश्रम के महंत और पीठाधीश्वर श्याम सुंदर दास के बीच फिर खिंचतातान शुरू हो गया है।
देवरहा बाबा आश्रम मईल की देखरेख पीठाधीश्वर श्याम सुंदर दास जी महाराज करते हैं और गुफा आश्रम, लक्ष्मीनारायण और राधा-कृष्ण मंदिर मईल की देखरेख महंत बालमुकुंद दास करते हैं,और इसकी एक कमेटी भी है। बुधवार को देवरहा बाबा आश्रम मईल में गुफा आश्रम के कार्यकारिणी सदस्यों रामेश्वर चौधरी, रामाशीष चौधरी,श्रीराम यादव, उमाशंकर यादव, कृष्णानंद यादव की आवश्यक बैठक हुई । मंदिर व गुफा की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए बैठक के दौरान सदस्यों ने सर्वसम्मत से गुफा आश्रम के महंत बालमुकुंद दास के प्रति अविश्वास जताते हुए वहां की सभी जिम्मेदारी देवरहा बाबा आश्रम मईल के पीठाधीश्वर श्याम सुंदर दास को सौंपते हुए अपनी आस्था व्यक्त किया और गुफा आश्रम के साथ-साथ लक्ष्मीनारायण और राधा-कृष्ण मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी निभाने के लिए राजकीय अभिलेखों में सर्वाकारा के रूप में अपना नाम दर्ज कराने की सहमति दे दिया। सदस्यों ने पीठाधीश्वर का माल्यार्पण कर स्वागत किया। सदस्यों द्वारा पीठाधीश्वर श्याम सुंदर दास को गुफा आश्रम एवं मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी सौंपे जाने की सूचना मिलते ही मंदिर के महंत बालमुकुंद दास आक्रोशित हो गए। और साफ शब्दों में कहा कि गुफा आश्रम एवं मंदिर की कार्यकारिणी अस्तित्व में ही नहीं है, मंदिर की देखरेख का अधिकार किसी दूसरे महंत को देने वाले वह लोग कौन हैं। देवरहा बाबा आश्रम मईल और गुफा आश्रम मईल के दोनों महंतों के बीच अधिकार को लेकर रस्सा कस्सी शुरू हो गई है। पांच साल पूर्व भी मंदिर के अधिकार को लेकर विवाद हुआ था और तत्कालीन उपजिलाधिकारी बरहज की देखरेख में हुई खुली बैठक के दौरान सूझ-बूझ से मामला रफा-दफा हुआ था। एक बार फिर मामला विवादों में घिरता जा रहा है।
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