21 दिसंबर
भारत और विश्व के इतिहास में 21 दिसंबर केवल एक तारीख नहीं, बल्कि उन महान व्यक्तित्वों की स्मृति का दिन है, जिन्होंने अपने कर्म, विचार और योगदान से समाज, राजनीति, विज्ञान, साहित्य और स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी। इस दिन देश ने कई ऐसे रत्न खोए, जिनकी विरासत आज भी हमारे विचारों और कार्यों में जीवित है। आइए जानते हैं 21 दिसंबर को हुए महत्वपूर्ण निधन और उन महान व्यक्तियों के जीवन, जन्मस्थल और राष्ट्रहित में योगदान के बारे में विस्तार से।
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मोतीलाल वोरा (निधन : 21 दिसंबर 2020)
मोतीलाल वोरा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ और विश्वसनीय नेताओं में गिने जाते थे। उनका जन्म 20 दिसंबर 1928 को निमाच जिला, मध्य प्रदेश, भारत में हुआ। राजनीति में उनकी पहचान एक कुशल संगठनकर्ता और प्रशासक के रूप में रही। वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल और केंद्र सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे। कांग्रेस संगठन में कोषाध्यक्ष के रूप में उन्होंने पार्टी को आर्थिक और प्रशासनिक रूप से सुदृढ़ किया। उनका जीवन सादगी, निष्ठा और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति समर्पण का प्रतीक रहा। राष्ट्रहित में उनका योगदान भारतीय राजनीति में स्थिरता और अनुशासन के रूप में सदैव स्मरणीय रहेगा।
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डॉ. पी. के. अयंगर (निधन : 21 दिसंबर 2011)
डॉ. पी. के. अयंगर भारत के प्रख्यात न्यूक्लियर फिजिसिस्ट और वैज्ञानिक थे। उनका जन्म 1931 में तिरुवनंतपुरम, केरल, भारत में हुआ। वे भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) के निदेशक रहे और भारत के परमाणु कार्यक्रम को वैश्विक स्तर पर मजबूती प्रदान की। पोखरण परमाणु परीक्षणों की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि तैयार करने में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। विज्ञान और राष्ट्र सुरक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान भारत को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ। वे युवाओं के लिए वैज्ञानिक सोच और अनुसंधान के प्रेरणास्रोत थे।
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तेजी बच्चन (निधन : 21 दिसंबर 2007)
तेजी बच्चन, प्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन की पत्नी और महान अभिनेता अमिताभ बच्चन की माता थीं। उनका जन्म 12 अगस्त 1914 को लाहौर (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ। वे एक शिक्षिका, सामाजिक कार्यकर्ता और साहित्यप्रेमी महिला थीं। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्होंने महिलाओं को जागरूक करने में सक्रिय भूमिका निभाई। तेजस्वी व्यक्तित्व और प्रखर विचारों की धनी तेजी बच्चन ने अपने परिवार के साथ-साथ समाज को भी संस्कार, शिक्षा और आत्मविश्वास की राह दिखाई। भारतीय सांस्कृतिक चेतना में उनका योगदान एक प्रेरक अध्याय के रूप में दर्ज है।
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महावीर प्रसाद द्विवेदी (निधन : 21 दिसंबर 1938)
महावीर प्रसाद द्विवेदी हिंदी गद्य साहित्य के युगप्रवर्तक माने जाते हैं। उनका जन्म 15 मई 1864 को दौसर, रायबरेली जिला, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ। वे प्रतिष्ठित पत्रिका ‘सरस्वती’ के संपादक रहे और हिंदी साहित्य को व्यवस्थित, परिष्कृत और आधुनिक स्वरूप दिया। भाषा की शुद्धता, तार्किकता और सामाजिक चेतना उनके लेखन की विशेषता रही। पत्रकारिता और साहित्य के माध्यम से उन्होंने राष्ट्र जागरण में अहम भूमिका निभाई। हिंदी साहित्य का आधुनिक स्वरूप काफी हद तक उनके विचारों और संपादन दृष्टि का परिणाम है।
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गेंदालाल दीक्षित (निधन : 21 दिसंबर 1920)
गेंदालाल दीक्षित भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारी थे। उनका जन्म 1885 में औरैया जिला, उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ। वे महान क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल के निकट सहयोगी थे और ‘मातृवेदी’ जैसे गुप्त क्रांतिकारी संगठन से जुड़े रहे। ब्रिटिश शासन के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष और जनजागरण उनके जीवन का उद्देश्य था। अल्पायु में ही उनका निधन हो गया, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान साहस, त्याग और देशभक्ति की अमिट मिसाल बन गया। उनका नाम भारतीय क्रांति इतिहास में सम्मान से लिया जाता है।
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21 दिसंबर को हुए महत्वपूर्ण निधन हमें यह स्मरण कराते हैं कि राष्ट्र का निर्माण केवल सत्ता से नहीं, बल्कि विचार, विज्ञान, साहित्य, संस्कृति और बलिदान से होता है। ये सभी विभूतियाँ भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, पर उनका योगदान भारतीय इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में सदैव जीवित रहेगा।
