जिले के जंगलों में मिलता है यह दुर्लभ वृक्ष संजीवनी के समान है अर्जुन का पौधा
भाटपार रानी/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा) उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद में मिलने वाला यह वृक्ष दुर्लभ संजीवनी से कम नहीं है जो कई बीमारियों में काम आने की बात बताई जाती है।
जनपद में यह एक ऐसा वृक्ष है जो सड़क किनारे जंगलों में प्रायः देखने को मिल जाता है ।यह किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है इसके बारे में वेद पुराण सहित अन्य कई जगहों पर जिक्र किया गया है। यह एक ऐसा औषधि पेड़ बताया जाता है जिसमें संजीवनी समान गुण हैं।
ऐसा जानकारों का कहना है इसके बारे में देवरिया के लोग शायद बहुत कम ही जानते हैं। कि यह दुर्लभ पेड़ देवरिया में भी पाया जाता है जिसकी पूरे भारत में ना सिर्फ काफी महत्व है। बल्कि लोग उपयोग भी करते हैं।
वैसे तो भारत में बीमारियों की बात करें तो हर एक व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से ग्रसित मिल ही जाता है जो लगभग अधिकांशतः लोगो को बीमारी हैं जिनके इलाज में अच्छा खासा पैसा खर्च हो जाता है तो आज हम बताते हैं एक ऐसे वृक्ष के बारे में जो हार्ट अटैक जैसे खतरनाक बीमारियों में संजीवनी बूटी बनकर सामने आता है, जिसकी सेवन से पेट से संबंधित बीमारी एवं हार्ट अटैक जैसे अनेकों बीमारी ठीक हो जाता है ऐसा जानकार बताते हैं और यह पेड़ आसानी से हर गांव हर जंगल में मिल भी जाता है जिसका आयुर्वेद में खास महत्व बताया गया है । भारत में चिकित्सा की जो पुरानी परंपरा को रही है तो भारत पेड़ पौधों से ही जड़ी बूटियों को प्राप्त कर चिकित्सा होता रहा है जो पेड़ पौधा औषधि के रूप में उपयोग किए जाते रहे हैं।बदलते समय में चिकित्सा की पद्धति तो बदल गई है लेकिन भारत में अर्जुन एक ऐसा पौधा है जो हर जगह आसानी से मिल जाता है और कई सारी बीमारियों में कारगर भी साबित होता है अर्जुन का पेड़ आप ने अपने आसपास अवश्य देखा होगा लेकिन इसकी लाभकारी गुणों के बारे में शायद ही जानते होंगे अर्जुन का पेड़ कितना फायदेमंद है।
इस पेड़ के फायदे
हैं कि आप सोच भी नहीं सकते बेहद आसानी से मिलने वाला यह वृक्ष किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है, आज कल यह देखा जा रहा है कि हार्ट अटैक की वजह से बहुत लोगों की मौत हो जा रही है उसका इलाज नहीं हो पा रहा है लेकिन अर्जुन का पौधा हार्ट अटैक जैसे गंभीर बीमारियों में भी काफी लाभकारी है यह पौधा दिल से जुड़ी बीमारियों को कम करने और उसकी कार्य क्षमता को बेहतर बनाने में मदद करता है अर्जुन की छाल फायदेमंद होता है अर्जुन की छाल को लेकर एनसीबीआई के द्वारा एक शोध किया गया बताया जाता है जिसमें पाया गया कि अर्जुन की छाल में ट्रांइटरपेनाईड नामक एक खास रसायन होता है जो हार्ड अटैक के खतरे को कम करता है जो यह अर्जुन के छाल में पाया जाता है।
पेड़ की औषधि गुण
अर्जुन की छाल में आयुर्वेदिक औषधि का गुण भरा होता है इसमें एंटीऑक्सीडेंट के गुण भी पाए जाते हैं जो इन्फेक्शन गले की खराश सर्दी जुकाम जैसे कई बीमारियों में भी लाभकारी होते हैं। जानकार बताते हैं।
अर्जुन का छाल डायबिटीज के मरीजों के लिए भी रामबाण है इस वजह से डायबिटीज के मरीजों को अर्जुन की छाल के पानी पीने को कहा जाता है, अर्जुन की छाल में एंटीडयबिटीक एंजाइम्स पाए जाते हैं जो किडनी और लीवर की कैपेसिटी को बढ़ाकर ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है, अर्जुन की छाल सर्दी खांसी में भी काफी मददगार साबित होता है, जिनको सर्दी खांसी की दिक्कत रहती है उन्हें अर्जुन की छाल निकाल कर इस पानी में लंबे समय तक उबालकर पीने से फेफड़ा को हल्दी बना देता है और इसकी कैपेसिटी को बढ़ाने का काम करता है जिससे इस बीमारी में भी राहत मिलती है।
सांस से संबंधित बीमारी में भी कारीगर साबित होता है अर्जुन
आयुर्वेद में अर्जुन को औषधि के रूप में यूं ही नहीं देखा जाता है क्योंकि यह कई बीमारियों में काम आता है सांस से संबंधित बीमारी में भी अर्जुन का छाल कारीगर साबित होता अस्थमा जैसे बीमारी में काफी राहत देता है इसे उबालकर पीने से, अर्जुन के छाल धातु रोग में भी उपियोग किया जाता है, इसी वजह से अर्जुन की एक अपनी अलग महत्व है आयुर्वेद की दुनिया में इसे बड़ा औषधि के रूप में देखा जाता है।
कहां मिलता है अर्जुन का पौधा
भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में अर्जुन का पौधा पाया जाता है खासतौर पर उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश में भी यह पौधा आपको देखने को मिल जाएगा उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद में भी यह पौधा भारी संख्या में मौजूद है अर्जुन की पहचान इसकी छाल और इसकी पत्तियों से होती है फल अर्जुन का पतला और थोड़ा लम्बा होते हैं और गोल होता है अभी यह पौधा धीरे-धीरे विलुप्त होता जा रहा है जरूरत है इसकी संरक्षण की।
नोट: कृपया ऊपर दी गई जानकारी मीडिया इंटरनेट सहित कई जगह से उपलब्ध कर बताई गई है आर्टिकल में बताई गई जानकारी को अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह अवश्य ले लें किसी तरह के हानि के लिए यह लेख जिम्मेदार नहीं है।
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