जाने-अनजाने प्लस डायरेक्टली इंडायेक्टली इक्वल टू माफियाओं आतंकियों अपराधियों को कठोर संदेश
त्वरित, फास्ट्रेक कार्रवाई के खौफ़ से अपराधियों के मुख्यधारा में वापस लौटने की संभावनाओं को बल मिलने को रेखांकित करना ज़रूरी – एडवोकेट किशन भावनानी
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर पिछले कुछ वर्षों से पूरी दुनिया की नजरें भारत के कुछ राज्यों पर लगी है कि किस तरह बुलडोजर एनकाउंटर फास्टट्रैक कार्यवाही से जाने अनजाने प्लस डायरेक्टली इंडायरेक्टली इक्वल टू माफियाओं आतंकियों अपराधियों को संदेश दिया जा रहा है, इसपर लगी हुई है। हालांकि पूरी कार्रवाई एक प्रक्रिया के तहत अलग अलग विभाग विभागों द्वारा की जा रही है। न्यायपालिका कार्यपालिका विधायिका मीडिया यह चार सलोकतंत्र के स्तंभ अलग-अलग कार्य कर रहें हैं, पर स्थिति कुछ चेंज सी हो गई है, जिससे दशकों से अपराध जगत में पीढ़ियों से दबका चलाने वाले आज खौफ़ में हैं। बाहर से अधिक जेल में रहना पसंद कर रहे हैं फिजिकल या मैन्युअल पेशी से अधिक वर्चुअल पेशी पसंद कर रहे हैं। बस उन्हें एक ही डर लगा रहता है कहीं कुछ हानि ना हो जाए चाहे वह उनके जुल्मों से पीढ़ीत लोगों द्वारा या फिर एजेंसियों द्वारा जाने कब क्या कैसे हो जाए, उनका मन कचोट रहा है। यह बात बड़े बुजुर्गों से भी हम पीढ़ियों से सुनते आ रहे हैं कि जो जैसा करेगा वैसा भरेगा, जैसी करनी वैसी भरनी, दोषी का मन कहीं ना कहीं जरूर कचोट रहा है। जो बोएगा वही काटेगा, जो बिल्कुल सत्य बात है मैंने अपने जीवन में अपने ही शहर में कई गलत लोगों अपराधियों द्वारा सामान्य गरीबों पर बहुत जुल्म करने वाले कई लोगों को आत्महत्या किए हैं ऐसा सुनता हूं तो मुंह से यही निकलता है कुदरत ने इंसाफ किया। यही बात दिनांक 15 अप्रैल 2023 को यूपी के एक मंत्री ने कहा पाप पुण्य का हिसाब यही होता है, तो दूसरे मंत्री ने कहा यह सब कुदरत द्वारा कया कराया गया कर्म है जो हम देख रहे हैं।
साथियों बात अगर हम वर्तमान में अपराधियों में दहशत की करें तो कुछ वर्षों से ही हम देख रहे हैं कि इस भारत के सबसे बड़े राज्य में अपराध जगत दहशत में है। क्योंकि यहां के सीएमसमय-समय पर इस बात का अंदेशा देते रहते हैं कि बुलडोजर चलेगा या फिर मिट्टी में मिला देंगे जिसकाअंदाजा अपराधियों को हो जाता है और वह दहशत भरी जिंदगी जी रहे हैं ऐसा मेरा मानना है।
साथियों बात अगर हम बयानों से अपराधियों में खौफ की करें तो, उस दौरान ये बयान काफी चर्चा में रहा था, जनवरी 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान एक सार्वजनिक रैली में मुख्यमंत्री ने कहा था कि राज्य में असुरक्षा, दंगा भड़काने और माफियाओं की गर्मी 10 मार्च के बाद शांत करवा देंगे।वहीं उन्होंने उमेश पाल की हत्या के बाद सदन में ये कहा था कि माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे। रिपोर्ट के मुताबिक यूपी सरकार ने जानकारी दी कि पिछले छह सालों में राज्य में पुलिस और अपराधियों के बीच 9,434 से ज्यादा मुठभेड़ें हुई हैं, जिसमें 183 अपराधी जान से मारे गए हैं। 5,046 अपराधियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। आधिकारिक आंकड़ों में यह भी कहा गया है कि पिछले छह सालों में इस तरह के अभियानों के दौरान 13 पुलिसकर्मी शहीद हुए और 1,443 पुलिसकर्मी घायल हुए। यूपी में सरकार के दूसरे कार्यकाल में बुलडोजर का खौफ अपराधियों के सिर चढ़कर बोल रहा है। इसकी बानगी राज्य के कई जिलों में देखने को मिल रही है। पहले एक जगह में महिला के दुष्कर्म के आरोपी ने अपने घर के सामने बुलडोजर खड़ी होने के बाद पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था वहीं अब दूसरे ज़िले में गैंगरपे के आरोपी दो भाइयों ने घर पर बुलडोजर पहुंचने के बाद खुद पुलिस थाने आकर सरेंडर कर दिया था। यूपी सरकार ने कहा कि अपराधियों पर नकेल कसने के लिए मुठभेड़ राज्य पुलिस की शीर्ष रणनीति थी। यूपी ने अपराध पर अंकुश लगाने और अपराधियों पर नकेल कसने के लिए चरणबद्ध तरीके से काम किया। एनकाउंटर ही शीर्ष रणनीति थी, जिससे अपराधियों में भय पैदा हो गया, जिसके बाद वे राज्य से भागने लगे। पुलिसिया कार्रवाइयों के कारण कभी लचर कानून व्यवस्था और माफियाओं के अत्याचारों के लिए जाना जाने वाला राज्य आज देश ही नहीं बल्कि विदेशों में अपराध-भय मुक्त राज्य के रूप में जाना जा रहा है ऐसी बातें मीडिया में भी आ रही है।
साथियों बात अगर हम हाल ही में 2 दिन पूर्व हुई घटना की करें तो मृतक की हिस्ट्री, आपराधिक कहानी का आगाज आज से करीब 44 साल पहले 1979 में हुआ था। उस वक्त इलाहाबाद के चाकिया मोहल्ले में एक परिवार रहता था, जो तांगा चलाकर परिवार का गुजर-बसर करते थे। उनका बेटा अतीक हाईस्कूल में फेल हो गया था।इसके बाद पढ़ाई लिखाई से उसका मन हट गया था। उसे अमीर बनने का चस्का लग गया, इसलिए वो गलत धंधे में पड़ गया और रंगदारी वसूलने लगा और आज यह स्थिति ऐसी आई चार दशकों तक ढाक अब आज सुपुर्द ए खाक!
साथियों बात अगर हम अपराधियों में भय उत्पन्न करने की करें तो, पुलिस का पूरा ध्यान अपराधी को पकड़कर उसे कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने पर होना चाहिए। नए दृष्टिकोण के साथ आपराधिक मामलों की जांच एवं मॉनिटरिंग करने के साथ ही अपराधियों को सजा दिलवाकर पीड़ितों को त्वरित न्यायदिलवाना सुनिश्चित करें, ताकि अपराधियों में भय व्याप्त हो।
साथियों बात अगर हम 15 अप्रैल 2023 को देर रात हुए दो माफिया भाइयों की हत्या के मामले को सुप्रीम के कोर्ट तक जाने की करें तो, पुलिस कस्टडी में हत्या की जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच की मांग की गई है। याचिका में 2017 से यूपी में अब तक हुए 183 एनकाउंटर की जांच सुप्रीम के रिटायर्ड जज की निगरानी में एक्सपर्ट कमिटी से कराने की मांग की गई है। एक बहुत बड़े प्रसिद्ध वकील ने ये याचिका दाखिल की है। प्रयागराज में शनिवार को पुलिस हिरासत में हमलावरों की गोलियों से मारे गये माफिया-नेता एवं पूर्व सांसद और उसके भाई के शवों को रविवार देर रात स्थानीय कब्रिस्तान में दफना दिया गया।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे वर्णों का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अपराध ज़गत दहशत में आया।जाने-अनजाने प्लस डायरेक्टली इंडायेक्टली इक्वल टू माफियाओं आतंकियों अपराधियों को कठोर संदेश त्वरित, फास्ट्रेक कार्रवाई के खौफ़ से अपराधियों के मुख्यधारा में वापस लौटने की संभावनाओं को बल मिलने को रेखांकित करना ज़रूरी है।
–संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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