संत कबीर नगर(राष्ट्र की परम्परा)। जिले के मेंहदूपार गांव में चल रहे शतचंडी महायज्ञ में प्रथम दिवस श्री रामलीला का प्रारंभ नारद मोह लीला के मंचन के साथ हुआ। ओनियेश्वर महादेव अवधधाम आदर्श रामलीला मंडली द्वारा रामलीला का मंचन किया जा रहा है। दिन में वृंदावन धाम से पधारी हुई साध्वी शिवांजली मिश्रा द्वारा कथा का रसपान कराया जाता है। रामलीला के पहले दिन रामलीला मंडली द्वारा नारद मोह और नारद ऋषि द्वारा भगवान विष्णु को श्राप दिया जाने का मनमोहक मंचन किया गया।
सर्वप्रथम विघ्नहर्ता भगवान गणेश की मनमोहक झांकी निकाली गई। उसके बाद कलाकारों ने दिखाया कि नारद ऋषि को महाराज दक्ष श्राप देते हैं कि आप दो घड़ी से ज्यादा एक जगह पर नहीं रुक सकते हैं। इस पर नारद ऋषि तपस्या करने लगते हैं। नारद ऋषि की तपस्या से इन्द्र को अपने सिंहासन का डर सताने लगता है। कामदेव से तपस्या भंग कराने की कोशिश करते हैं लेकिन कामयाब नही होते हैं। तपस्या पूर्ण होने के बाद नारद को घमंड हो जाता है। नारद के घमंड को तोड़ने के लिए भगवान विष्णु माया रचते हैं। विश्वमोहिनी का स्वयंबर रचाया जाता है। विश्वमोहिनी से शादी के लिए नारद ऋषि भगवान हरि से अपने जैसा रूप मांगते हैं। भगवान विष्णु उनको एक बंदर का रूप दे देते हैं। जब नारद ऋषि स्वयंवर में जाते हैं तो उनको ज्ञात होता है कि उनको भगवान विष्णु ने बंदर का रूप दे दिया है। ऐसे में क्रोधित होकर नारद ऋषि भगवान विष्णु को श्राप देते हैं कि यही बंदर एक दिन आपकी मदद करेगा। मोहभंग होने के बाद नारद भगवान विष्णु से क्षमा मांगते हैं।
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