संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। जिले के बघौली ब्लॉक का प्राथमिक विद्यालय डिहुलिया आज शिक्षा जगत में एक चमकदार उदाहरण बनकर उभरा है। दो कमरों और दो शिक्षकों के सहारे चलने वाला यह विद्यालय अपने अनुशासन, स्वच्छता, उत्कृष्ट शिक्षण और सौ फीसदी उपस्थिति के कारण चर्चाओं में है। 66 नामांकन में प्रतिदिन 66 बच्चों की उपस्थिति इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। सभी बच्चे यूनिफॉर्म में विद्यालय पहुँचते हैं, जिससे शिक्षा के प्रति उनकी गंभीरता और विद्यालय की प्रभावी व्यवस्था साफ झलकती है।
विद्यालय परिसर में प्रवेश करते ही स्वच्छ वातावरण, आकर्षक वाल पेंटिंग, सजे-संवरे कक्ष और अनुशासित बच्चे हर आगंतुक को प्रभावित करते हैं। प्रधानाध्यापक जय प्रकाश और सहायक शिक्षक तिलक राम के समर्पण ने इस विद्यालय की सूरत पूरी तरह बदल दी है।
कुछ वर्ष पूर्व तक यह विद्यालय उपेक्षा का शिकार था। परिसर में असामाजिक तत्वों की आवाजाही शिक्षण के माहौल को पूरी तरह प्रभावित कर चुकी थी। वर्ष 2016 में जब प्रधानाध्यापक जय प्रकाश यहां तैनात हुए, तो स्थिति चुनौतीपूर्ण थी, पर उन्होंने कठिनाई को स्वीकार कर इसे बदलने का निर्णय लिया।
प्रधानाध्यापक जय प्रकाश का कहना है कि शुरुआत में हालात देखकर मन विचलित हुआ, पर फिर लगा कि यदि शिक्षक ही पीछे हट गए तो बच्चे किस पर भरोसा करेंगे। समुदाय के सहयोग से धीरे-धीरे वातावरण सुधारा गया और आज विद्यालय की 100% उपस्थिति देखकर संतोष होता है।
सहायक शिक्षक तिलक राम कहते हैं कि संसाधन भले कम हों, लेकिन बच्चों की शिक्षा और वातावरण में कोई कमी नहीं आने दी। रोज़ाना बच्चों का उत्साह और उनकी प्रगति ही सबसे बड़ी उपलब्धि है।
आज डिहुलिया प्राथमिक विद्यालय न सिर्फ बघौली ब्लॉक बल्कि पूरे जिले के लिए प्रेरणा स्रोत बना है। स्वच्छता, एमडीएम व्यवस्था, कक्षाओं की सजावट, अनुशासन और शिक्षण की गुणवत्ता हर क्षेत्र में यह विद्यालय अपनी मिसाल खुद प्रस्तुत करता है।

डिहुलिया विद्यालय का यह परिवर्तन साबित करता है कि शिक्षा में सुधार के लिए बड़े संसाधनों की नहीं, बल्कि मजबूत संकल्प, निरंतर प्रयास और निष्ठा की आवश्यकता होती है।
