कोलकाता (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। दुर्गा पूजा से ठीक पहले कोलकाता ने चार दशकों में सबसे भयावह बरसात का सामना किया। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, 1 से 22 सितंबर तक शहर में कुल 178.6 मिमी बारिश हुई थी, जो सामान्य 213.7 मिमी से 16 प्रतिशत कम थी। लेकिन सोमवार रात से मंगलवार सुबह के बीच 247.4 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो बीते 22 दिनों की कुल वर्षा से भी अधिक है। चौबीस घंटे से भी कम समय में हुई 251.4 मिमी वर्षा 1986 के बाद सबसे ज्यादा और पिछले 137 सालों में एक दिन की छठी सबसे बड़ी बारिश मानी जा रही है।
तेज बारिश ने महानगर की रफ्तार को पूरी तरह थाम दिया। निचले इलाकों में जलजमाव ने यातायात, ट्रेन और मेट्रो सेवाओं को प्रभावित कर दिया। बिधाननगर, सॉल्ट लेक और मध्य कोलकाता के कई मोहल्ले अब भी जलमग्न हैं। पैदल यात्रियों को कमर तक पानी में सफर करना पड़ा, वहीं निगम ने सुरक्षा कारणों से कई इलाकों में स्ट्रीट लाइट बंद कर दीं।
इस आपदा में अब तक कम से कम 10 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से नौ लोग करंट लगने के शिकार हुए। स्कूल-कॉलेज बंद करने पड़े और राज्य सरकार को दुर्गा पूजा की छुट्टियां समय से पहले घोषित करनी पड़ीं। हवाई सेवाओं से लेकर रेल और सड़क परिवहन तक पर गहरा असर देखा गया।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपने निर्धारित कार्यक्रम स्थगित करने पड़े। उन्होंने मंगलवार को पूजा पंडालों के उद्घाटन रद्द कर दिए और बुधवार को हालात सामान्य होने के बाद पंडालों का दौरा करने की संभावना जताई है। साथ ही कालीघाट स्थित नवनिर्मित अग्निशमन केंद्र का उद्घाटन भी वह इसी दौरान करेंगी।
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अधिकारियों का कहना है कि बाढ़ का पानी धीरे-धीरे कम हो रहा है, लेकिन त्योहारों के मौसम से पहले सामान्य स्थिति बहाल करना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में भारी वर्षा से इनकार किया है, हालांकि बादल छाए रहने और गरज के साथ हल्की से मध्यम बारिश की आशंका जताई गई है।
137 साल की बारिश का यह रिकॉर्ड कोलकाता और आसपास के जिलों में लंबे समय तक याद किया जाएगा, क्योंकि इसने त्योहार की रौनक से पहले ही शहर को ठप कर दिया है।