अध्यक्ष विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली को लिखा पत्र
देवरिया(राष्ट्र की परम्परा) संजयदीप कुशवाहा
प्रदेश अध्यक्ष राष्ट्रीय समानता दल उत्तर प्रदेश ने अध्यक्ष विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली को पत्र लिखा और कहा कि समाचार पत्रों से ज्ञात हुआ है कि विश्वविद्यालय शिक्षक बनने के लिए यूजीसी द्वारा कुछ नियमों में बदलाव किया गया है। जिसमें विश्वविद्यालय शिक्षक के लिए स्नातक में 75% अंक की अनिवार्यता रखी गई है, जो पूरी तरीके से अव्यावहारिक और तर्कहीन है, पूर्व में सिर्फ स्नातक पास होने का प्रावधान था इस अव्यवहारिक प्रावधान से शिक्षा माफियाओं को लूट की खुली छूट मिल जाएगी और आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के छात्र विश्वविद्यालय शिक्षक बनने से वंचित हो जाएंगे इसका प्रभाव देश के 90 फ़ीसदी छात्रों पर पड़ेगा ऐसे कानून दलित पिछड़े आदिवासी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को विश्वविद्यालय शिक्षक बनने से वंचित कर देगा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा एमटेक छात्रों को विश्वविद्यालय शिक्षक बनने के लिए नेट और पीएचडी से छूट देना एकेडमिक शिक्षा को महत्वहीन बनाना है, तथा आर्थिक रूप से संपन्न परिवार के छात्रों को विश्वविद्यालय शिक्षक बनने के लिए खुली छूट देना है क्योंकि एम टेक महंगी शिक्षा होती होती है। यूजीसी द्वारा विश्वविद्यालय शिक्षक बनने के लिए नियमों में किया गया बदलाव स्नातक में 75% अंक अनिवार्य करना तथा एमटेक किए हुए छात्रों को नेट और पीएचडी से छूट देना बताता है कि सरकार आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को विश्वविद्यालय शिक्षक बनने से सीधे-सीधे रोक रही है यूजीसी के इन नियमों का प्रभाव सीधे-सीधे दलित पिछड़े आदिवासी और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों पर पड़ेगा ।
राष्ट्रीय समानता दल की यह मांग है कि विश्वविद्यालय शिक्षक बनने के लिए स्नातक में 75% अंक की अनिवार्यता वापस ली जाए तथा एमटेक किए हुए छात्रों को भी नेट और पीएचडी अनिवार्य किया जाए।
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