Saturday, October 18, 2025
HomeUncategorizedसावन का पावन महीना प्रकृति की सुन्दरता का चरम और शिव भक्ति...

सावन का पावन महीना प्रकृति की सुन्दरता का चरम और शिव भक्ति का अद्भुत संगम है

(रिपोर्ट राष्ट्र की परम्परा के लिए सुनीता कुमारी )

सावन, श्रावण मास, हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण महीना माना जाता है। यह वह समय है जब प्रकृति अपने हरे-भरे रूप में सज-धज कर भगवान शिव की आराधना में लीन हो जाती है। जुलाई के अंत या अगस्त की शुरुआत में पड़ने वाला यह महीना, वर्षा ऋतु के आगमन के साथ धरती पर नई जान डाल देता है और भक्तों के मन में नई ऊर्जा का संचार करता है।
प्रकृति का अनुपम सौंदर्य
सावन आते ही चारों ओर हरियाली छा जाती है। सूखे खेत-खलिहान पानी से भर जाते हैं और पेड़-पौधे नए पत्तों और फूलों से लद जाते हैं। मंद-मंद चलती हवा और रिमझिम बारिश की बूंदें मन को शीतलता और शांति प्रदान करती हैं। यह महीना प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं, जब वे पहाड़ों, नदियों और झरनों के अद्भुत नजारों का लुत्फ उठाते हैं। ऐसा लगता है मानो पूरी प्रकृति शिव भक्ति में लीन होकर उनका अभिषेक कर रही हो।
शिव भक्ति का चरम
सावन का महीना विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस मास में भगवान शिव अपनी ससुराल, दक्ष प्रजापति के यहां गए थे और वहां उनका अभिषेक किया गया था। तभी से सावन में शिव पूजा का विशेष महत्व है। भक्तगण सोमवार के व्रत रखते हैं, जिन्हें सावन का सोमवार कहा जाता है। इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि चढ़ाकर भगवान शिव को प्रसन्न किया जाता है। कांवड़ यात्रा भी सावन की एक प्रमुख विशेषता है, जिसमें शिव भक्त पवित्र नदियों से जल भरकर पैदल यात्रा करते हुए शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, रुद्राभिषेक और भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है, जिससे पूरा वातावरण शिवमय हो जाता है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
सावन का महीना केवल शिव भक्ति तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका अपना एक गहरा सांस्कृतिक महत्व भी है। इस दौरान कई पारंपरिक त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे हरियाली तीज, नाग पंचमी और रक्षाबंधन। हरियाली तीज पर महिलाएं सोलह श्रृंगार कर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। नाग पंचमी पर सर्पों की पूजा की जाती है, और रक्षाबंधन पर भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत किया जाता है।
सावन का महीना हमें प्रकृति के करीब आने, अपनी परंपराओं से जुड़ने और आध्यात्मिक शांति प्राप्त करने का अवसर देता है। यह महीना हमें सिखाता है कि कैसे प्रकृति और परमात्मा एक-दूसरे से अविभाज्य रूप से जुड़े हुए हैं। तो आइए, इस पावन महीने में हम भी प्रकृति के इस अनुपम सौंदर्य और शिव भक्ति के अद्भुत संगम का अनुभव करें।
सावन का महीना केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सवों का भी महीना है। इस दौरान अनेक जगहों पर मेले लगते हैं, लोकनृत्य और गीतों की महफिलें सजती हैं। बच्चे भी बारिश में खेलते-कूदते और पेड़ों पर झूला डालकर आनंद लेते हैं।
संक्षेप में कहें तो सावन का महीना न सिर्फ आस्था और पूजा का पर्व है, बल्कि यह प्रकृति से आत्मीयता, प्रेम और उल्लास का भी प्रतीक है। यह महीना हमें हरियाली, जल और प्रकृति के महत्व का एहसास कराता है और जीवन में ताजगी तथा उमंग भर देता है।

सुनीता कुमारी
पूर्णिया बिहार

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments