भारत और विश्व के इतिहास में 10 अक्टूबर का दिन अनेक दृष्टियों से महत्वपूर्ण रहा है। इस दिन जन्मे महान व्यक्तित्वों ने अपने-अपने क्षेत्रों में अद्भुत योगदान देकर समाज को दिशा दी। साहित्य, राजनीति, खेल, सिनेमा, समाज सुधार और प्रशासन के क्षेत्र में इन विभूतियों ने ऐसी अमिट छाप छोड़ी, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। आइए, इस दिन जन्मे कुछ प्रमुख व्यक्तियों की जीवन यात्रा और उपलब्धियों पर नज़र डालें।
- सुतीर्था मुखर्जी (Sutirtha Mukherjee) — टेबल टेनिस खिलाड़ी (1995 — )
जन्म: 10 अक्टूबर 1995
स्थान: नयाहाटी, पश्चिम बंगाल
प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा:
सुतीर्था का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। बचपन से ही उन्हें टेबल टेनिस का गहरा शौक था। परिवार के सहयोग और निरंतर अभ्यास ने उन्हें इस खेल में निपुण बना दिया।
करियर एवं उपलब्धियाँ:
सुतीर्था भारत की अंतरराष्ट्रीय टेबल टेनिस खिलाड़ी हैं। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर की कई प्रतियोगिताएँ जीतीं और 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय महिला टीम की सदस्य रहीं। 2020 टोक्यो ओलंपिक और 2022 एशियाई खेलों में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया, जहाँ महिला डबल्स में कांस्य पदक जीता।
2023 में WTT Contender Tunis में उन्होंने अपना पहला WTT खिताब जीता।
योगदान व प्रेरणा:सुतीर्था ने संघर्ष के बीच अपनी जगह बनाई और आज वे भारतीय टेबल टेनिस की प्रेरक छवि हैं। वे महिला खिलाड़ियों के लिए दृढ़ता और आत्मविश्वास की मिसाल हैं। - आर. के. नारायण (R. K. Narayan) — साहित्यिक पुरोधा (1906 – 2001)
जन्म: 10 अक्टूबर 1906, मद्रास (चेन्नई)
शिक्षा: मैसूर विश्वविद्यालय से B.A.
साहित्यिक यात्रा:रासिपुरम कृष्णस्वामी नारायण भारतीय अंग्रेज़ी साहित्य के प्रमुख उपन्यासकारों में से एक थे। उन्होंने शिक्षण और पत्रकारिता से शुरुआत कर लेखन को अपना जीवन बना लिया। उनकी पहली प्रसिद्ध रचना “Swami and Friends” (1935) थी, जिसके बाद “The Bachelor of Arts”, “The English Teacher”, “The Guide”, “Malgudi Days” जैसी रचनाएँ आईं।
पुरस्कार: 1958 में “The Guide” के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1964 में पद्म भूषण, और 2000 में पद्म विभूषण मिला। वे राज्यसभा के सदस्य भी रहे।
योगदान: उन्होंने भारतीय समाज के मध्यमवर्गीय जीवन को अंग्रेज़ी भाषा में गहन संवेदनशीलता से प्रस्तुत किया। उनका रचा हुआ काल्पनिक नगर मालगुडी भारतीय जीवन का प्रतीक बन गया।
मृत्यु: 13 मई 2001, चेन्नई - मंजीत सिंह (Manjit Singh) — रोइंग खिलाड़ी (1988 — )
जन्म: 10 अक्टूबर 1988, चंडीगढ़
शिक्षा एवं प्रशिक्षण: चंडीगढ़ रोइंग सेंटर
करियर:मंजीत सिंह भारतीय रोवर हैं जिन्होंने “Men’s Lightweight Double Sculls” वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व किया। वे 2008 बीजिंग ओलिंपिक और 2012 लंदन ओलिंपिक में भारत की टीम का हिस्सा रहे।
योगदान:भारत में रोइंग को लोकप्रियता दिलाने वाले प्रमुख खिलाड़ियों में उनका नाम आता है। कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने विश्व स्तर पर देश का नाम रोशन किया। - रेखा (Rekha) — हिंदी सिनेमा की सशक्त अभिनेत्री (1954 — )
जन्म: 10 अक्टूबर 1954, चेन्नई, तमिलनाडु
शिक्षा: Sacred Heart Convent, चेन्नई
करियर:रेखा का फिल्मी सफर बाल कलाकार के रूप में शुरू हुआ। उन्होंने हिंदी सिनेमा में 200 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें उमराव जान, सिलसिला, खून भरी मांग, मुकद्दर का सिकंदर प्रमुख हैं।
पुरस्कार:उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, कई फिल्मफेयर पुरस्कार और 2010 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया। वे राज्यसभा सदस्य भी रही हैं।
योगदान:रेखा ने भारतीय सिनेमा में महिला किरदारों को नई पहचान दी। वे आत्मनिर्भरता, दृढ़ता और सौंदर्य की प्रतीक हैं। - श्रीपाद अमृत डांगे (Shripad Amrit Dange) — समाजवादी विचारक (1899 – 1991)
जन्म: 10 अक्टूबर 1899, कोल्हापुर, महाराष्ट्र
शिक्षा: विल्सन कॉलेज, मुंबई
कार्य एवं योगदान:डांगे भारत के पहले कम्युनिस्ट नेताओं में से थे। उन्होंने मजदूर वर्ग के अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष किया। वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के संस्थापकों में थे।
उन्होंने ट्रेड यूनियनों को मज़बूत किया और स्वतंत्रता आंदोलन में भी भाग लिया।
मृत्यु: 22 मई 1991
छाप:डांगे भारतीय समाज में श्रमिक चेतना और समाजवादी सोच के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। - प्रकाश चंद्र सेठी (Prakash Chandra Sethi) — राजनेता (1920 – 1996)
जन्म: 10 अक्टूबर 1920, झालवाड़ (राजस्थान)
शिक्षा: स्नातक, उज्जैन विश्वविद्यालय
राजनीतिक यात्रा:
वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे। 1972–1975 के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और बाद में केंद्र सरकार में मंत्री भी बने।
योगदान:
उन्होंने प्रशासनिक सुधारों, औद्योगिक विकास और ग्रामीण कल्याण योजनाओं को प्रोत्साहित किया।
उनके कार्यकाल में मध्य प्रदेश में कई सामाजिक योजनाओं की नींव रखी गई।
मृत्यु: 1996 - डॉ. रामविलास शर्मा (Ramvilas Sharma) — साहित्यकार व चिंतक (1912 – 2000)
जन्म: 10 अक्टूबर 1912, ऊँचगाँव, उत्तर प्रदेश
शिक्षा: लखनऊ विश्वविद्यालय से पीएचडी
करियर एवं रचनाएँ:वे हिंदी साहित्य के प्रख्यात आलोचक, कवि और चिंतक थे। “निराला की साहित्य साधना” और “भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिंदी” जैसी पुस्तकों ने उन्हें विशेष पहचान दी।
योगदान:उन्होंने साहित्य को समाजशास्त्रीय दृष्टि से देखने की परंपरा स्थापित की। वे प्रगतिशील आलोचना के अग्रणी विद्वान थे।
मृत्यु: 30 मई 2000 - द्वारकानाथ कोटणीस (Dr. Dwarkanath Kotnis) — मानवता के चिकित्सक (1910 – 1942)
जन्म: 10 अक्टूबर 1910, शोलापुर, महाराष्ट्र
शिक्षा: जीएस मेडिकल कॉलेज, मुंबई
योगदान:वे 1938 में चीन गए और वहाँ के युद्धग्रस्त लोगों के लिए चिकित्सा सेवा दी। चीन-जापान युद्ध के दौरान उन्होंने हजारों सैनिकों का इलाज किया और वहीं रहकर प्राण त्याग दिए।
सम्मान:उन्हें चीन में “भारतीय मित्र” और “अमर चिकित्सक” कहा जाता है। भारत-चीन मित्रता के प्रतीक के रूप में उनका नाम अमर है।
मृत्यु: 9 दिसंबर 1942, चीन - के. शिवराम कारंत (K. Shivaram Karanth) — ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता साहित्यकार (1902 – 1997)
जन्म: 10 अक्टूबर 1902, उडुपी, कर्नाटक
शिक्षा: मैसूर विश्वविद्यालय
करियर एवं रचनाएँ:वे कन्नड़ भाषा के प्रसिद्ध उपन्यासकार, पर्यावरणविद्, रंगकर्मी और सामाजिक सुधारक थे।
उन्होंने 100 से अधिक पुस्तकें लिखीं जिनमें “Marali Mannige” और “Chomana Dudi” विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।
सम्मान:
1977 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित। पद्म भूषण और पद्म विभूषण से अलंकृत।
योगदान:
उन्होंने कर्नाटक की संस्कृति, लोक परंपरा और प्रकृति संरक्षण के क्षेत्र में अनोखा कार्य किया।
मृत्यु: 9 दिसंबर 1997 - मदन मोहन पुंछी (Madan Mohan Punchhi) — न्यायविद (1933 – 2015)
जन्म: 10 अक्टूबर 1933, पंजाब
शिक्षा: पंजाब विश्वविद्यालय
करियर:वे भारत के 28वें मुख्य न्यायाधीश रहे (1998–1999)।
उन्होंने संवैधानिक व्यवस्था में संघीय ढाँचे को सुदृढ़ किया।
योगदान:उनकी अध्यक्षता में गठित “पुंछी आयोग” ने केंद्र-राज्य संबंधों पर महत्वपूर्ण सिफारिशें दीं।
उनका न्यायिक दृष्टिकोण भारतीय संविधान की मूल भावना से प्रेरित था।
मृत्यु: 17 जून 2015 - बलबीर सिंह (Balbir Singh) — हॉकी खिलाड़ी (1924 – 2020)
जन्म: 10 अक्टूबर 1924, हरियाणा
करियर:वे भारतीय हॉकी टीम के दिग्गज फॉरवर्ड खिलाड़ी थे।
1948, 1952 और 1956 ओलिंपिक खेलों में स्वर्ण पदक विजेता टीम के सदस्य रहे।
योगदान:उनकी कप्तानी में भारत ने एशियाई खेलों में भी स्वर्ण पदक जीता।उन्हें “Padma Shri” से सम्मानित किया गया और वे भारतीय हॉकी के स्वर्ण युग के प्रतीक बने।
मृत्यु: 25 मई 2020 - 10 अक्टूबर केवल एक तिथि नहीं, बल्कि विविधता में एकता का जीवंत प्रतीक है। इस दिन जन्मे बहुत से व्यक्तियों ने अपने क्षेत्रों में अद्वितीय योगदान देकर भारत की सांस्कृतिक, बौद्धिक और खेल विरासत को समृद्ध किया। साहित्य से लेकर राजनीति और खेल से लेकर समाज सेवा तक — इन सभी ने अपने कर्म, समर्पण और संघर्ष से आने वाली पीढ़ियों के लिए अमिट प्रेरणा छोड़ी है।
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