🗳️ लालगंज में गठबंधन धर्म की मिसाल बनीं शिवानी शुक्ला, पिता मुन्ना शुक्ला की विरासत को आगे बढ़ाने उतरीं चुनावी मैदान में
पटना (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच महागठबंधन के दो घटक दलों—राजद और कांग्रेस—के बीच लालगंज (वैशाली) और कुटुंबा (औरंगाबाद) सीटों को लेकर उठी उलझन अब पूरी तरह खत्म हो गई है। लंबे मंथन और आपसी बातचीत के बाद दोनों दलों ने तालमेल की नई मिसाल पेश की है। लालगंज सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार आदित्य कुमार राजा और कुटुंबा से आरजेडी के संभावित उम्मीदवारों ने आखिरकार नामांकन वापस लेकर गठबंधन धर्म निभाने का उदाहरण प्रस्तुत किया है।
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लालगंज से अब आरजेडी प्रत्याशी शिवानी शुक्ला, जो पूर्व विधायक और बिहार की राजनीति में चर्चित नाम मुन्ना शुक्ला की बेटी हैं, मैदान में उतर चुकी हैं। कांग्रेस की ओर से इस सीट पर पहले आदित्य कुमार राजा को टिकट मिला था, लेकिन उन्होंने स्वेच्छा से चुनावी दौड़ से पीछे हटते हुए कहा कि उनका यह निर्णय किसी दबाव या व्यक्तिगत कारण से नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक आदर्शों और गठबंधन की एकजुटता बनाए रखने के लिए लिया गया है।
जिला निर्वाचन पदाधिकारी वर्षा सिंह ने भी आदित्य राजा के नामांकन वापसी की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि महुआ विधानसभा क्षेत्र से भी दो प्रत्याशियों ने अपने नाम वापस लिए हैं, जिससे स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि महागठबंधन अब बिखराव से बचते हुए संगठित रूप में चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है।
अब पूरा ध्यान लालगंज सीट पर टिक गया है, जहां महागठबंधन की ओर से शिवानी शुक्ला बनाम बीजेपी के संजय सिंह के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा।
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शिवानी शुक्ला हाल के दिनों में क्षेत्र में लगातार सक्रिय रही हैं — जनसंपर्क अभियान चलाते हुए, महिला मतदाताओं और युवा वर्ग के बीच संवाद स्थापित कर रही हैं। उनकी उम्मीदवारी को न सिर्फ राजनीतिक तौर पर, बल्कि गठबंधन की एकजुटता का प्रतीक माना जा रहा है।
गौरतलब है कि शिवानी शुक्ला का राजनीतिक सफर किसी सामान्य पृष्ठभूमि से नहीं आता। उनके पिता मुन्ना शुक्ला ने वर्ष 2000 में हाजीपुर जेल से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतकर इतिहास रचा था। इसके बाद उन्होंने जेडीयू के टिकट पर भी जीत हासिल की थी। वहीं, शिवानी की मां भी लालगंज सीट से विधायक रह चुकी हैं। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि शिवानी अपने परिवार की राजनीतिक विरासत को नए सिरे से परिभाषित करने के मिशन पर हैं।
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दूसरी ओर, कुटुंबा विधानसभा सीट पर भी अब स्थिति स्पष्ट हो गई है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने यहां से नामांकन दाखिल किया था, जबकि आरजेडी ने अपनी सूची में इस सीट को छोड़ते हुए संकेत दे दिया है कि यहां कांग्रेस ही महागठबंधन की प्रमुख दावेदार होगी। इससे कांग्रेस खेमे में राहत की भावना है और दोनों दल अब मिलकर एनडीए उम्मीदवारों के खिलाफ रणनीति तय कर रहे हैं।
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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शिवानी शुक्ला का मैदान में उतरना न केवल आरजेडी के लिए नई ऊर्जा का संचार करेगा, बल्कि महिला नेतृत्व की उपस्थिति से गठबंधन को संतुलित छवि भी मिलेगी।
बिहार की धरती पर परिवारवाद के तमाम आरोपों के बीच, शिवानी शुक्ला ने अपनी राजनीतिक सक्रियता और जनता से जुड़ाव के माध्यम से युवा और महिला सशक्तिकरण की नई राह खोली है। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या वह अपने पिता की तरह लालगंज में एक नया इतिहास रच पाती हैं या नहीं।
