नरिंदर सिंह कपानी को आज विश्व “फाइबर ऑप्टिक्स के जनक” (Father of Fiber Optics) के रूप में जानता है। उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियों ने इंटरनेट, ब्रॉडबैंड, मोबाइल कम्युनिकेशन और मेडिकल टेक्नोलॉजी की दिशा ही बदल दी। उनका जन्म 31 अक्टूबर 1926 को पंजाब के मोगा जिले में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा देहरादून में प्राप्त करने के बाद उन्होंने 1948 में आगरा विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
वर्ष 1952 में कपानी उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए और Imperial College London में भौतिकी में पीएचडी पूरी की। इसी दौरान उन्होंने अपने मेंटर डॉ. हेरॉल्ड हॉपकिंस के साथ मिलकर यह क्रांतिकारी प्रयोग किया कि प्रकाश को कांच के बेहद पतले और लचीले रेशों (ग्लास फाइबर) के माध्यम से घुमाया और एक छोर से दूसरे छोर तक पहुँचाया जा सकता है। यही खोज आगे चलकर “फाइबर ऑप्टिक्स तकनीक” की नींव बनी।
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1960 में प्रकाशित अपने शोध लेख में उन्होंने पहली बार “Fiber Optics” शब्द का उपयोग किया। आज यही तकनीक हाई-स्पीड इंटरनेट, डेटा ट्रांसमिशन, लेजर सर्जरी, एंडोस्कोपी और टेलीकम्युनिकेशन की रीढ़ बन चुकी है। उनकी खोज के बिना वर्तमान डिजिटल युग की कल्पना असंभव थी।
विज्ञान के साथ-साथ उन्होंने संस्कृति के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। 1967 में उन्होंने “Sikh Foundation” की स्थापना की, जिसमें सिख इतिहास और विरासत को संरक्षित करने का संकल्प लिया गया।
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उनका निधन 4 दिसंबर 2020 को कैलिफोर्निया (USA) में हुआ। उनकी विरासत को सम्मान देते हुए भारत सरकार ने 2021 में उन्हें मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया।
नरिंदर सिंह कपानी केवल वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि ज्ञान और विरासत के संवाहक भी थे, जिन्होंने संपूर्ण विश्व को प्रकाश की एक नई राह दिखाई।
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