मुम्बई(राष्ट्र की परम्परा) भारतीय मानवाधिकार परिषद के 11वॉ स्थापना दिवस के अवसर पर ‘ग्लोबल पीस सम्मिट’ का भव्य आयोजन मुंबई में आयोजित किया गया।जिसमें श्रद्धेय देवेंद्र ब्रह्मचारी सम्मिलित हुए और देश के कोने-कोने से आए हज़ारों कार्यकर्ताओं को अपने विचार व्यक्त करते हुए, देवेंद्र ब्रह्मचारी ने आयोजित कार्यक्रम में कहा कि – हमें इस बात का हमेशा स्मरण रखना चाहिए कि रास्ते कभी खत्म नहीं होते बस लोग हिम्मत हार जाते हैं । अगर हमें तैरना सीखना है तो पानी में उतरना ही होगा, किनारे बैठकर कोई गोताखोर नहीं बन सकता । और ज़िन्दगी में तकलीफ कितनी भी हो कभी हताश और उदास मत होना, क्योंकि धूप कितनी भी तेज़ क्यों न हो वह कभी समंदर को नहीं सुखा सकती हैं। हमें जीवन के प्रत्येक क़दम पर चुनौतियां और संघर्ष का सामना करना होता है। पर कुछ लोग ज़रा से कठिन समय में अपने हौसले हार जाते हैं और वही कुछ लोग कठिन समय को जीतकर आगे बढ़ जाते हैं। जीतने वाले को दुनियाँ याद रखती है और हारने वाले को भूल जाया करते हैं। हम ऐसे महान देश में रहते हैं जहाँ पर अनेक जाति धर्म मज़हब लोग रहते हैं और यहाँ पर अनेक विभिन्नताएँ हैं । लेकिन फिर भी यहाँ एकता, शान्ति,समन्वय है । “विविधता में एकता” ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ और ‘जियो और जीने दो’ की हमारे देश की संस्कृति और सभ्यता ने पूरे विश्व के आलोकित किया है । और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए श्रद्धेय ब्रह्मचारी कहते हैं कि जो समाज समन्वय और एकता के सूत्र में नहीं बनता वह कभी सफल और आर्दश नहीं बन सकता, वर्तमान में लोग एक-दूसरे से दूर होते जा रहे हैं। संगठन को मजबूती देने के लिए समय-समय पर सामाजिक कार्यक्रम करना अति आवश्यक है। समाज की एकता के लिए आगे आकर हम सभी को एक संघटन की तरह साथ आकर सामाजिक सौहार्द के लिए कार्य करने होंगे। इस अवसर पर भारतीय मानवाधिकार परिषद संस्थापक हाजी शेख़ , सह संस्थापक राजेंद्र सिंह वालिया, सत्य प्रकाश त्रिवेदी, मंच संचालक अंकित खंडेलवाल और भी अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे ।
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