
कांग्रेस के अंदरूनी मतभेद फिर सतह पर, शशि थरूर का पलटवार
नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद डॉ. शशि थरूर ने मंगलवार को पार्टी सहयोगी के. मुरलीधरन के बयान पर तीखा पलटवार किया। मुरलीधरन ने हाल ही में दावा किया था कि थरूर को पार्टी के कार्यक्रमों में आमंत्रित नहीं किया जाता। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए थरूर ने उनके बयान को खारिज करते हुए कड़ा सवाल खड़ा किया – “इस दावे का आधार क्या है?”
थरूर ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा, “सबसे पहले तो मुझे बताइए कि ऐसा कहने का आधार क्या है? और जो लोग इस तरह की बातें कर रहे हैं, पार्टी में उनका क्या पद है? वे कौन हैं?” थरूर का यह बयान साफ संकेत है कि वह अब कांग्रेस के भीतर होने वाली खींचतान पर चुप नहीं बैठने वाले।
उन्होंने मुरलीधरन की स्थिति पर भी सवाल उठाए और कहा कि यदि उनके खिलाफ कोई टिप्पणी की जा रही है, तो उसके पीछे कोई वैध आधार होना चाहिए। “बिना किसी ठोस प्रमाण या स्थिति के, इस तरह के बयान पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं,” थरूर ने कहा।
गौरतलब है कि के. मुरलीधरन, जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं, ने हाल ही में यह दावा किया था कि पार्टी थरूर को अपने कार्यक्रमों में नहीं बुलाती। यह बयान केरल कांग्रेस में मतभेदों की ओर संकेत करता है, जहां थरूर की बढ़ती लोकप्रियता कुछ गुटों के लिए असहजता का कारण बन रही है।
हालांकि, थरूर ने स्पष्ट कर दिया कि वह पार्टी के साथ मजबूती से जुड़े हैं और कोई भी भ्रम फैलाने की कोशिश सफल नहीं होगी।
पार्टी में भीतरघात या रणनीतिक खिंचतान?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयानबाज़ी केवल व्यक्तिगत कटाक्ष नहीं है, बल्कि कांग्रेस के केरल यूनिट में जारी गुटबाज़ी का संकेत भी देती है। थरूर के प्रभाव और उनके “पार्टी से परे स्वीकार्यता” ने उन्हें एक अलग पहचान दी है, जो कुछ नेताओं को रास नहीं आ रही।
नजरें आलाकमान पर
अब इस ताजा विवाद पर कांग्रेस हाईकमान की प्रतिक्रिया का इंतजार है। क्या वह आंतरिक मतभेदों को सुलझाने की कोशिश करेगा या इन टकरावों को पार्टी की ‘आंतरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया’ मानकर नजरअंदाज़ करेगा?
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