
सिद्धार्थनगर (राष्ट्र की परम्परा) जिले में इन दिनों बिना नंबर प्लेट और ओवरलोड ट्रैक्टर-ट्रॉली की बेतहाशा आवाजाही लोगों के लिए जानलेवा खतरा बनती जा रही है। यह वाहन न केवल ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, बल्कि सड़क सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा बन चुके हैं। शहर से लेकर गांवों तक, ये ट्रैक्टर-ट्रॉली खुलेआम फर्राटा भरते हुए दिखाई दे रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार विभाग आंखें मूंदे बैठे हैं।
हर सड़क पर मौत का सफर
22 जुलाई 2025 को दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक इटवा थाना क्षेत्र के हथियवां चौराहे से खुनियांव तक लगभग छह ओवरलोडेड और ओवर हाइट ट्रैक्टर-ट्रॉली दौड़ते देखे गए। हैरत की बात यह रही कि इनमें से किसी भी वाहन में नंबर प्लेट नहीं लगी थी। यह नजारा अब आम हो चला है। जिले के विभिन्न हिस्सों में, खासकर ग्रामीण इलाकों में, ट्रैक्टर-ट्रॉली भारी ईंट लादकर गली-मुहल्लों तक पहुंच रही हैं।
प्रशासन की चुप्पी: मिलीभगत या लापरवाही?
इन ओवरलोड और बिना नंबर वाले वाहनों पर परिवहन विभाग, यातायात पुलिस और प्रशासनिक अफसरों की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सब जिम्मेदारों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। नतीजतन, न केवल सड़कें क्षतिग्रस्त हो रही हैं, बल्कि आए दिन हादसों की आशंका भी बनी रहती है।
डबल फायदों के लिए हटाते हैं नंबर प्लेट
फाइनेंस कंपनी से बचाव: वाहन मालिक जानबूझकर नंबर प्लेट नहीं लगाते ताकि यदि वे किस्त नहीं चुकाएं तो फाइनेंस कंपनी वाहन की पहचान न कर सके।
हादसों से बचाव: किसी दुर्घटना की स्थिति में भी वाहन की पहचान करना मुश्किल हो जाता है, जिससे कानूनी कार्रवाई से बचा जा सके।
एआरटीओ की प्रतिक्रिया
इस विषय में जब एआरटीओ सुरेश कुमार मौर्य से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि वे इस समय अस्वस्थ हैं। इससे साफ है कि विभाग की ओर से इस गंभीर मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।
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