
पटना (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। शनिवार को राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है। तेजस्वी ने इस घटनाक्रम को गंभीर बताते हुए चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण की मांग की है।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने शुक्रवार को बिहार की बहुप्रतीक्षित ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी की, जिसमें 7.24 करोड़ मतदाताओं के नाम शामिल किए गए हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया के दौरान 65 लाख से अधिक नामों को सूची से हटा दिया गया। आयोग का कहना है कि हटाए गए नामों में ज्यादातर वे लोग हैं जो या तो मृत घोषित हो चुके हैं या राज्य से पलायन कर गए हैं।
तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि उनका नाम हटाना केवल “तकनीकी त्रुटि” नहीं, बल्कि एक “सोची-समझी राजनीतिक साजिश” हो सकती है। उन्होंने कहा—
“मैं जीवित हूं, बिहार में हूं और सक्रिय राजनीति कर रहा हूं, फिर भी मेरा नाम हटा दिया गया। यह लोकतांत्रिक अधिकारों पर सीधा हमला है।”
राजद नेता ने राज्य चुनाव कार्यालय से तत्काल नाम बहाल करने और इस मामले की जांच कराने की मांग की। वहीं, चुनाव आयोग का कहना है कि यह ड्राफ्ट सूची है और 27 अगस्त तक मतदाता अपनी आपत्तियां व दावे दर्ज करा सकते हैं। अंतिम मतदाता सूची 4 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के विवाद चुनावी माहौल में बड़े मुद्दे का रूप ले सकते हैं, खासकर तब जब विपक्ष इसे मतदाता अधिकारों से जोड़कर प्रचारित करे।
फोटो ANI के सौजन्य से